SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 155
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ षट्प्राभृते _ [२.४१मणी सिद्धा) त्रिभुवनचूडामणयस्त्रैलोक्यशिरोरत्नानि ते पुरुषाः सिद्धा भवन्तिआत्मोपलब्धिवन्तो भवन्ति ॥ ४० ॥ णाणगुहिं विहीणा ण लहंते ते सुइच्छियं लाहं। इय गाउं गुणदोसं तं सण्णाणं वियाणेहि ॥४१॥ ज्ञानगुणैविहीना न लभन्ते ते स्विष्टं लाभम् । .. . इति ज्ञात्वा गुणदोषौ तत् सज्ज्ञानं विजानाहि ॥ ४१ ॥ ( णाण गुणेहि विहीणा ) ज्ञानमेव गुणो जीवस्योपकारकः पदार्थस्तेन विहीना रहिताः । ( ण लहंते ते सुइच्छियंलाहं ) न लभन्ते न प्राप्नुवन्ति ते सुष्ठु इष्ट लाभं मोक्षं । उक्तञ्च २णाणविहीणहं मोक्खपउ जीव म कासु वि जोइ । बहुयई सलिलविरोलियई कल चोप्पडउ न होइ ॥ १॥ . ( इय गाउं गुणदोसं ) इतिपूर्वोक्तप्रकारेण गुणं दोषं च ज्ञात्वा ज्ञानस्य गुणं, अज्ञानस्य दोषं विज्ञाय । (तं सण्णाणं वियाणेहि ) तत्तस्मात्कारणात्, सत् समीचीनं, ज्ञानं विजानीहीति तात्पर्यार्थः ॥ ४१ ॥ लोकके अग्रभागमें निवास करनेसे चूडामणिके समान जान पड़ते हैं और आत्मोपलब्धिसे युक्त होनेके कारण सिद्ध कहलाते हैं ।। ४०॥ गाथार्थ-ज्ञान गुणसे हीन जीव अत्यन्त इष्ट लाभको प्राप्त नहीं कर सकते । इस प्रकार गुण और दोषको जानकर उस सम्यग्ज्ञानको अच्छी तरह जानो ।। ४१ ॥ विशेषार्य-ज्ञान गुण ही जीवका उपकारक पदार्थ है उससे रहित मनुष्य अतिशय इष्ट जो मोक्ष रूपी लाभ है उसे नहीं प्राप्त कर सकते । जैसा कि कहा है__णाण-ज्ञानसे हीन मनुष्य मोक्षको प्राप्त नहीं हो सकते सो ठीक ही है क्योंकि पानीके विलोने से हाथ चीकना नहीं होता। इस प्रकार ज्ञानके गुण और अज्ञानके दोष जानकर सम्यग्ज्ञानको अच्छी तरह जानो। १. 'सिद्धिः स्वात्मोपलल्धिः प्रगुणगुणगणोच्छादिदोषापहरात् । योग्योपादानयुक्त्या दृषद इह यथा हेमभावोपलिब्धः ।'-सिद्धभक्ती पूज्यपादः । २. परमात्मप्रकाशे योगीन्द्रदेवस्य । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004241
Book TitleAshtpahud
Original Sutra AuthorKundkundacharya
AuthorShrutsagarsuri, Pannalal Sahityacharya
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year2004
Total Pages766
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Sermon, Principle, & Religion
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy