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________________ ८२ षट्प्राभृते मद्यपलमधुनिशाशनपञ्चफली विरति पंचकाप्तनुती:' । जीवदया लगालनमिति च क्वचिदष्टमूलगुणाः ॥ १ ॥ सप्तव्यसनवर्जनं । उक्तं च द्यूतमांससुरावेश्याखेटचौर्यपराङ्गनाः महापापानि सप्तैव व्यसनानि त्यजेद् बुधः ॥ २ ॥ सम्यक्त्वप्रतिपालनं परशास्त्राणामश्रवणमिति विशुद्धमतिः । मूलकनालिका - पद्मिनीकन्द लशुनकन्द-तुम्बकफलकुसुम्भ- शाक-कलिङ्गफल-सूरणकन्दं-त्यागश्च । अरणी - पुष्पं वरणपुष्पं शोभाञ्जन कुसुमं करीरपुष्पं काञ्चनार पुष्पमिति पञ्चपुष्पत्यागः । लवणतैलघृतयुक्तं फलं सन्धानकं मुहूर्तद्वयोपरि नवनीतं त्याज्यम् । मांसादिसेविनां भाण्डभाजनवर्जनं, चर्म स्थितजल-स्नेह- हिगुपरिहारः । अस्थि - [ २.२१ द्यूतमांस - जुआ, मद्य, मांस, वेश्या, शिकार, चोरी और परस्त्री सेवन ये महापाप रूप सात व्यसन हैं, विद्वान् को इनका त्याग करना चाहिये । सम्यक्त्वको रक्षा करने के लिये अन्य मत-मतान्तरों के शास्त्रोंका श्रवण न करके अपनी बुद्धिको विशुद्ध-निर्मल रखना चाहिये । ऊपर कहे हुए सामान्य आचरण के अतिरिक्त दर्शन प्रतिमान्धारी श्रावक को निम्नलिखित बातोंपर भो ध्यान रखना आवश्यक होता है - मूली, नाली, मृणाल, लहसुन, तुम्बीफल, कुसुम्भकी शाक, तरबूज और सूरणकन्दका भी त्याग करना चाहिये। अरणी, वरण, सोहजना, करीर और कंचनार, इन पाँच प्रकारके फलोंका त्याग होता है। नमक, तेल, और घृतमें रखे हुए फल, आचार-मुरब्बा, दो मुहूर्तके बादका मक्खन, तथा मांसादिका सेवन करने वाले लोगोंके बनाने और खाने के वर्तनों का त्याग करना पड़ता है। चमड़े में रखे हुए जल, तेल और हींगका त्याग होता है । भोजन करते समय हड्डी, मदिरा, चमड़ा, मांस, खून, पीव, मल, मूत्र और मृत प्राणीके देखनेसे, त्यागी हुई वस्तुके सेवनसे, चाण्डालादि के देखने और उनके शब्द सुननेसे भोजन का त्याग करना चाहिये । घुने, भकू डे ( फूलनसे युक्त ) और चलित स्वादवाले अन्नका त्याग करना Jain Education International १. नुतो म० । २. कन्दो क० । ३. लवणतैलघृतघृतफलसन्धानकमूहूर्तद्वयोपरि नवनीतमांसादिसेविभाण्डभाजन वर्जनं म० । For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004241
Book TitleAshtpahud
Original Sutra AuthorKundkundacharya
AuthorShrutsagarsuri, Pannalal Sahityacharya
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year2004
Total Pages766
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Sermon, Principle, & Religion
File Size13 MB
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