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का दृष्टान्त । अन्य उपाय न होने से प्रस्तुत उपाय द्वारा सांप से पुत्र रक्षण करने का मनोभाव निर्मल होने की वजह से वह (मा) दोषी नहीं है। इसी प्रकार साधु स्वयं सर्वथा मन, वचन, काया से करण-कारणअनुमोदन किसी भी रुप में पाप व्यापार करने के त्याग वाले होते हुए भी जब उसे यह दिखाई देता है कि गृहस्थ को बड़े पापों से निवृत्त करवाना दूसरे उपाय द्वारा शक्य नही है, सिवाय द्रव्य स्तव के, तब उनके
द्वारा इस परिस्थिति में उपदेश देना दोष युक्त नहीं है। प्र.304 श्राद्ध विधि प्रकरण के अनुसार द्रव्य स्तव के प्रकारों का
नामोल्लेख कीजिए ? उ. दो प्रकार- 1. आभोग द्रव्य स्तव 2. अनाभोग द्रव्य स्तव ।। प्र.305 आभोग द्रव्य स्तव किसे कहते है ? उ. परमात्मा के गुणों को जानकर गुण योग्य उत्तम विधि से वीतराग परमात्मा
की पूजा, अर्चना करना, आभोग द्रव्य स्तव कहलाता है । इस पूजा से
चारित्र का लाभ होता है। प्र.306 अनाभोग द्रव्य स्तव किसे कहते है ? उ. पूजा विधि, जिनेश्वर परमात्म और उनके गुणों से अनभिज्ञ, मात्र शुभ
परिणाम से जो जिनेश्वर परमात्मा की पूजा की जाती है उसे अनाभोग
द्रव्य स्तव कहते है। जैसे-रायण रुख पर पोपट (तोते) द्वारा कृत पूजा। प्र.307 पूजा से पूज्य को लाभ नहीं होता है फिर पूजक को लाभ कैसे? उ. 'उवभारा भावम्मि वि, पुज्जाणं पूजगस्स उवगारो
मंतादि सरण जलणाइ, सेवणे जह तहेहं पि ॥
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चतुर्थ पूजा त्रिक
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