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________________ करना, उन उपदेशों को आत्मसात् करना, प्रतिपति पूजा है। . प्र.289 जिनाज्ञा का सर्वोत्कृष्ट कोटि का पालन कौन करता हैं ? उ. वीतरागी आत्मा' करता है। प्र.290 वीतरागी आत्मा (जीव) ही उत्कृष्ट पालन क्यों कर सकते हैं ? उ. संघयण, बल आदि की उत्कृष्टता एवं कषायों की निर्मूलता के कारण। प्र.291 कौन से गुणस्थानक वाले जीव प्रतिपति पूजा कर सकते हैं ? उ. 11वें, 12वें और 13वें गुणस्थानक वाले जीव प्रतिपति पूजा कर सकते प्र.292 सम्यग्दृष्टि जीव कितने प्रकार की पूजा कर सकता है? उ. सम्यग्दृष्टि जीव प्रथम तीन पूजा - पुष्प पूजा, आमिष पूजा और स्तोत्र पूजा कर सकता है। प्र.293 चतुर्विध पूजा कौन-कौन कर सकते हैं और क्यों ? उ. देशविरतिधर गृहस्थ श्रावक-श्राविका ही चतुर्विध प्रकार की पूजा कर . सकते हैं, क्योंकि गृहस्थ द्रव्य के आधिपत्य में रहते है। प्र.294 देशविरतिधर ही चतुर्विध पूजा कर सकते है सर्व विरतिधर क्यों नहीं ? उ. पुष्प व आमिष दोनों द्रव्य है, सर्व विरतिधर साधु-साध्वीजी भगवंत सर्व द्रव्य त्यागी होते है । अत: वे दोनों प्रकार की भाव पूजा (स्तोत्र पूजा, प्रतिपति पूजा) ही कर सकते है। प्र.295 फिर द्रव्य पूजा के अभाव में क्या साधु-साध्वीजी भगवंतों के पूण्योपार्जन कम नहीं होगा ? उ. नहीं, क्योंकि द्रव्य पूजा, भाव पूजा के लाभार्थ ही की जाती है । द्रव्य ++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++ चतुर्थ पूजा त्रिक 72 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004240
Book TitleChaityavandan Bhashya Prashnottari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVignanjanashreeji
PublisherJinkantisagarsuri Smarak Trust
Publication Year2013
Total Pages462
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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