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________________ गुणों को स्थिर रखने के लिए तथा नये प्रकट करने के लिए यह आवश्यक है। प्र.259 शुद्ध भाव पूजा से क्या तात्पर्य है ? उ. पूर्ण निष्पन्न-तत्त्व (परमात्मा) में तन्मय होना, शुद्ध भाव पूजा है । प्र.260 कौनसी पूजा भाव पूजा कहलाती है ? उ.. स्तुति, स्तवन, स्तोत्र, चैत्यवंदन आदि करना और जिनाज्ञा का पालन करना। 1.261 भाव पूजा को निवृत्ति कारिणी (निर्वाण साधनी ) क्यों कहते है ? उ. भाव पूजा भवभ्रमणा से मुक्ति एवं मोक्ष पद (निर्वाण) की प्राप्ति में सहायक होती है इसलिए इसे निवृत्ति कारिणी कहते है । 1262 वैराग्य कल्पलता में भाव पूजा को किस नाम से सम्बोधित किया गया है ? उ... 'सर्व सिद्धिफला' नाम से। 1263 कौनसी पूजा भविष्य में सम्यग्दर्शन प्राप्ति का कारण बनती है ? उ. निवृत्ति कारिणी (भावपूजा) पूजा । . 1264 पंचोपचारी का शब्दार्थ कीजिए । उ.. पंच + उपचार । - पंच - पांच, उपचार - विनय । कहीं-कहीं उपचार का अर्थ पूजा में काम आने वाले साधन बताया है। प्र265 पंचोपचारी पूजा किसे कहते है ? उ.. पांच प्रकार के साधन - सुगन्धित पदार्थ (चंदनादि), पुष्प, वासक्षेप, धूप और दीपक द्वारा जो पूजा की जाती है, उसे पंचोपचारी पूजा कहते है। - षोडशक के अनुसार - पांच अंगों से (दो हाथ, दोनों घुटने एवं मस्तक) ++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++ चैत्यवंदन भाष्य प्रश्नोत्तरी 65 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004240
Book TitleChaityavandan Bhashya Prashnottari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVignanjanashreeji
PublisherJinkantisagarsuri Smarak Trust
Publication Year2013
Total Pages462
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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