SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 65
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ गया जाता है, उसे स्तुति द्वार कहते है । प्र.193 निमित्त द्वार किसे कहते है ? उ. कायोत्सर्ग करने का उद्देश्य (कारण) जिस द्वार में बताया गया है, उसे निमित्त द्वार कहते है। प्र.194 हेतु द्वार में किसका वर्णन किया गया है ? उ. कार्य की उत्पत्ति में जो सहायक साधन है, उनका वर्णन हेतु द्वार में किया गया है। प्र.195 आगार द्वार किसे कहते है ? उ. कायोत्सर्ग, व्रत, नियमादि करने से पूर्व अपवाद (आगार) स्वरुप जो छूट रखी जाती है, उन आगारों का वर्णन जिस द्वार में किया गया है, उसे आगार द्वार कहते है। प्र.196 कायोत्सर्ग द्वार में किसका वर्णन किया गया हैं ? उ. कायोत्सर्ग द्वार में कायोत्सर्ग के उन्नीस दोषों का वर्णन किया गया है। प्र.197 कायोत्सर्ग प्रमाण द्वार से क्या तात्पर्य हैं ? उ. कितने समय पर्यन्त (प्रमाण) साकार शरीर का त्याग कर, कायोत्सर्ग मुद्रा में स्थिर (खडे) रहना है, इसका प्रमाण जिस द्वार में बताया गया हैं, उसे कायोत्सर्ग प्रमाण द्वार कहते हैं। प्र.198 स्तवन द्वार किसे कहते हैं ? उ. परमात्मा की स्तवना-स्तुति किस प्रकार के स्तवनों के द्वारा की जाती हैं, इसका उल्लेख जिस द्वार में किया गया है, उसे स्तवन द्वार कहते हैं। प्र.199 चैत्यवंदन द्वार में किसका विवेचन किया गया है ? उ. अहोरात्री में मुनि भगवंत, श्रावक आदि कब और कितनी बार चैत्यवंदन 50 चौबीस द्वारों का कथन Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004240
Book TitleChaityavandan Bhashya Prashnottari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVignanjanashreeji
PublisherJinkantisagarsuri Smarak Trust
Publication Year2013
Total Pages462
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy