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________________ है, उसे पद द्वार कहते है। प्र.186 संपदा द्वार किसे कहते है ? उ. सूत्रों को बोलते समय ठहरने/रुकने के स्थानों का निर्धारण जिस द्वार में किया जाता है, वह संपदा द्वार कहलाता है । प्र.187 दण्डक द्वार किसे कहते है ? उ. चैत्यवंदन में बोलने योग्य जिन पांच मुख्य सूत्रों का वर्णन जिस द्वार में किया जाता है, उसे दण्डक द्वार कहते है। प्र.188 अधिकार द्वार किसे कहते है ? उ. पांच दण्डक सूत्रों के मुख्य विषय का वर्णन जिस द्वार में किया जाता है, उसे अधिकार द्वार कहते है। प्र.189 वंदनीय द्वार में किसका विवेचन किया गया है ? उ. वंदन करने योग्य चार कौन होते है, इसका विवेचन वंदनीय द्वार में किया गया है। प्र.190 स्मरणीय द्वार किसे कहते है ? उ: सम्यग्दृष्टि देवी-देवता स्मरणीय ही क्यों होते है, इसका कारण जिस द्वार में बताया गया है, उसे स्मरणीय द्वार कहते है । प्र.191 जिन द्वार किसे कहते है ? उ. चार प्रकार के जिन के वर्णन से युक्त द्वार को जिन द्वार कहते है । प्र.192 स्तुति द्वार किसे कहते है ? उ. जिनेश्वर परमात्मा का गुणकीर्तन जिस पद्यमय रचना से किया जाता है, उसे स्तुति कहते है और इन स्तुति के प्रकारों का विवेचन जिसमें किया ++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++ चैत्यवंदन भाष्य प्रश्नोत्तरी 40 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004240
Book TitleChaityavandan Bhashya Prashnottari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVignanjanashreeji
PublisherJinkantisagarsuri Smarak Trust
Publication Year2013
Total Pages462
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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