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1. शाश्वत चैत्य 2. निश्राकृत भक्ति चैत्य 3. भक्ति चैत्य 4. मंगल चैत्य 5. साधर्मिक चैत्य ।
1. शाश्वत चैत्य - देवलोक सम्बन्धी सिद्धायतन, मेरुशिखर, कूट,
नंदीश्वर, रुचकवरद्वीप आदि के चैत्य, शाश्वत चैत्य कहलाते हैं। 2. निश्राकृत भक्ति चैत्य भरत महाराजा आदि के द्वारा बनाये गये भक्ति चैत्य, निश्राकृत भक्ति चैत्य कहलाते हैं ।
3. भक्ति चैत्य
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निश्राकृत व अनिश्राकृत नामक दोनों प्रकार के
चैत्य, भक्ति चैत्य कहलाते हैं ।
4. मंगल चैत्य - मथुरा नगरी के गृहद्वारों के ऊपरी भाग पर बनाई गई मंगल मूर्तियाँ, मंगल चैत्य कहलाती है ।
5. साधर्मिक चैत्य - स्वधर्मी की प्रतिमा । जैसे - वारतक मुनि के पुत्र ने पितृ प्रेम से प्रेरित होकर रजोहरण, मुँहपत्ति आदि साधु योग्य उपकरणों से युक्त पिता मुनि (वारतक) की प्रतिमा अपने रमणीय देवगृह में विराजित की थी। ऐसे स्थान आगमिक भाषा में साधर्मिक स्थली कहलाते हैं ।
चैत्य का अर्थ व प्रकार
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