________________
चैत्य 4. अनिश्राकृत चैत्य 5. शाश्वत चैत्य । प्र.170 भक्ति चैत्य किसे कहते हैं ? उ. प्रतिदिन त्रिकाल पूजन, वंदन आदि के लिए घर में प्रतिष्ठापित यथोक्त
लक्षण सम्पन्न जिन-प्रतिमा भक्ति चैत्य कहलाती है । प्र.171 मंगल चैत्य से क्या तात्पर्य हैं ? उ. गृहद्वार के ऊपरी बारशाख (दरवाजे के ऊपरी भाग) में मंगल हेतु बनाई
गई जिन प्रतिमा मंगल चैत्य कहलाती है। मंगल चैत्य बनाने की परम्परा
मथुरा नगरी में थी। प्र.172 निश्राकृत चैत्य किसे कहते हैं ? उ. गच्छ विशेष से सम्बन्धित जिनमंदिर, जिन प्रतिमा आदि, जहाँ वही गच्छ
प्रतिष्ठा आदि करवा सकता है । इसके अलावा अन्य कोई भी गच्छ वहाँ किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं कर सकता है, वह निश्राकृत चैत्य
कहलाता है। प्र.173 अनिश्राकृत चैत्य किसे कहते है ? उ... जहाँ सभी गच्छ के लोग स्वतन्त्रता पूर्वक प्रतिष्ठा, दीक्षा, मालारोपण आदि - धर्म कर सकते हों, ऐसे जिनालय में विराजमान प्रतिमा अनिश्राकृत चैत्य
कहलाती है। प्र.174 शाश्वत चैत्य से क्या तात्पर्य हैं ? उ.- शाश्वत जिनमंदिर जो सदैव शाश्वत रहने वाले हैं, वे शाश्वत चैत्य
कहलाते हैं। प्र.175 प्रवचन सारोद्धार में कथित अन्य प्रकार के चैत्य पंचक कौन से
++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++ चैत्यवंदन भाष्य प्रश्नोत्तरी
.
45
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org