________________
प्र.1415 बारह पर्षदा में कौन-कौन सी पर्षदा परमात्मा की देशना का श्रवण खड़े-खड़े करती है ?
आवश्यक वृत्ति के अनुसार
चारों प्रकार की देवियाँ (भवनपति, व्यंतर, ज्योतिष्क एवं वैमानिक देवियाँ) और साध्वीजी भगवंत, ये पांच पर्षदा परमात्मा की देशना का श्रवण खड़े-खड़े करती है ।
परंतु इसकी चूर्णि के अनुसार - साधुजी भगवंत उत्कटिकासन में तथा वैमानिक देवियाँ और साध्वीजी भगवंत, ये दो पर्षदा खड़े-खड़े परमात्मा की देशना का अमीपान करती है ।
1416 जिस प्रकार नंदनवन कभी देवता रहित नही होता है वैसे ही तीर्थंकर परमात्मा किसके बिना नही होते है ?
I. गणधर भगवंत बिना नही होते है ।
1417 परमात्मा के समवसरण में बारह पर्षदा कैसे बैठती है ?
पूर्व द्वार से प्रवेश करके परमात्मा की तीन प्रदक्षिणा देकर, नमन करते हुए तीन पर्षदा (साधु, वैमानिक देवी और साध्वी) अनुक्रम से अग्निकोण में बैठती है ।
. सर्व प्रथम ज्येष्ठ गणधर भगवंत परमात्मा के पास बैठते है, तत्पश्चात् शेष गणधर भगवंत उनके पीछे अनुक्रम से बैठते है ।
केवलज्ञानी मुनि भगवंत परमात्मा की तीन प्रदक्षिणा देकर, तीर्थंकर परमात्मा द्वारा नमस्कृत तीर्थं को नमस्कार करके अनुक्रम से विराजित गणधर भगवंत के पीछे क्रमिक विराजते है ।
वंदन भाष्य प्रश्नोत्तरी
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
391
www.jainelibrary.org