SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 402
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ उ . वासुदेव और मांडलिक राजा कितना धन आजीविका रूप देते है ? उ. चक्रवर्ती - साडा बारह लाख स्वर्णमुद्रा, वासुदेव - साडा बारह लाख रूपये और मांडलिक राजा - साडा बारह हजार रूपये देता है । लो.प्र.स. 30 गा. 1009-1010 प्र.1400 परमात्मा के स्वनगर में आगमन की सुचना देने वाले अनुचर को चक्रवर्ती, वासुदेव और मांडलिक राजा क्या प्रीतिदान देते है ? चक्रवर्ती - साडा बारह करोड स्वर्णमुद्रा प्रीतिदान रूप देता है । वासुदेव - साडा बारह करोड रूपये प्रीतिदान रूप देता है। मांडलिक राजा - साडा बारह लाख रूपये प्रीतिदान रूप देता है । ___ लो.प्र.स. 30 गा. 1011-1013 प्र.1401 तीर्थंकर परमात्मा के कौन-कौन से गुण लोक के अन्य जीवों में नहीं होते है ? परमात्मा का अद्वितीय रूप, सौभाग्य, लावण्य, गमन, विलोकन, वचन, दर्शन, स्पर्शन, श्रवण, औदार्य, गांभीर्य, धैर्य, मर्यादत्व, आर्यत्व, दयालुता (करूणा दृष्टि), अनुद्धता, सदाचार, मन सत्य, वचनं सत्य, काय क्रिया सत्य, सर्व प्रियत्व, प्रभूता, प्रशांतता, जितेन्द्रियता, गुणित्व, गुणानुरागिता, निर्ममत्व, सौम्यता, साम्यता, निर्भयता, निर्दोषता आदि गुण जगत के अन्य प्राणियों में नहीं होते है। प्र..1402 तीर्थंकर परमात्मा का जीव तीर्थंकर नामकर्म बन्धन (निकाचित) करने से पूर्व भी सृष्टि में प्रत्येक गति में उत्तम जाति के कौन से उत्तम कुल में जन्म लेता है ? 1. अव्यवहार राशि में भी तीर्थंकर परमात्मा का जीव तथाभव्यत्वयता . और अन्य अनेक विशेष गुणों के कारण वह अन्यों से उत्तम होता है। चैत्यवंदन भाष्य प्रश्नोत्तरी .. 387 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004240
Book TitleChaityavandan Bhashya Prashnottari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVignanjanashreeji
PublisherJinkantisagarsuri Smarak Trust
Publication Year2013
Total Pages462
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy