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कहलाती है। प्र.1332 द्रव्य निक्षेप पूजा किसे कहते है ? उ. अरिहंतादि परमात्मा को गंध, पुष्प, धूप, अक्षतादि समर्पण करना, तीन
प्रदक्षिणा देना, नमस्कार करना, शब्दों से (वचनों से) जिनेश्वर परमात्मा
का गुणकीर्तन करना, द्रव्य पूजा कहलाती है। प्र.1333 द्रव्य पूजा कितने प्रकार की होती है ? उ... तीन प्रकार की- 1.सचित्त पूजा 2. अचित्त पूजा 3. मिश्र पूजा ।
1. सचित्त पूजा - साक्षात् तीर्थंकर परमात्मा, गुरू आदि का यथायोग्य __पूजन करना, सचित्त पूजा है। 2. अचित्त पूजा - जिनेश्वर प्रतिमा और द्रव्य श्रुत (लिपिबद्ध शास्त्र)
· की पूजा करना, अचित्त पूजा कहलाती है। 3. मिश्र पूजा - सचित्त व अचित्त दोनों का मिश्रण करके जो पूजा की
जाती है, उसे मिश्र पूजा कहते है। प्र.1334 क्षेत्र पूजा किसे कहते है ? .
जिनेश्वर परमात्मा की जन्म कल्याणक भूमि, तपोभूमि, केवलज्ञान
कल्याणक भूमि और निर्वाण भूमि आदि का पूजन करना, क्षेत्र पूजा है। प्र.1335 काल पूजा किसे कहते है ?
देवाधिदेव परमात्मा के अनन्त चतुष्टय आदि गुणों का कीर्तन करके त्रिकाल वन्दना करना अथवा परमात्मा के दीक्षा, तप, ज्ञान, मोक्ष आदि
कल्याणक के दिन उनकी पूजा करना, काल पूजा कहलाती है। प्र.1336 पूजन के कितने अंग है ?
दिगम्बर परम्परानुसार
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