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में लेना 36. अहोभाव से रहित असम्माननीय भाव से पूजा करना 37. जिन धर्म निंदा आदि की उपेक्षा ( अनदेखा ) करना 38. देव द्रव्य, गुरूद्भव्य व साधारण द्रव्य का भक्षण होते देखकर उपेक्षा करना 39. जूते पहनना 40. द्रव्य पूजा से पूर्व भाव पूजा करना ।
सम्बोध प्रकरण देवाधिकार गाथा 248-254
चैत्यवंदन महाभाष्य में मध्यम आशातनाएं 42 कही है ।
प्र. 1306 जिनमंदिर सम्बन्धित चौरासी आशातनाएं कौनसी है ? उ. जिनमंदिर सम्बन्धित चौरासी आशातनाएं निम्न है - 1. कफ थूकना 2. क्रीडा करना, 3. कलह करना 4. कला अभ्यास करना (धनुष बाण आदि) 5. कुंल्ला करना 6. तंबोल आदि खाना 7. पीक थूकना 8. गालीगलोच करना 9. लघु नीति, बडी नीति करना 10. स्नानादि करना 11. केश काटना (मुंडन करन) 12. नाखून काटना 13. रक्त आदि डालना 14. मिठाई आदि खाना 15. घाव आदि को खुरेदना 16. दवाई आदि लेकर पित्त निकालना 17. वमन करना 18. दांत आदि फेंकना या साफ करना 19. मालिश करना 20. गाय, भैंस, बकरी आदि बांधना 21-28 दांत, नाक, आँख, कान, नाखून, गाल, सिर और शरीर का मैल डालना 29. भूत आदि के मंत्र की साधना करना 30 सगाई, विवाह आदि तय करना 31. हिसाब-किताब करना 32. धन आदि का बंटवारा करना 33. निजी सम्पति मंदिर में रखना 34. अनुचित आसन से बैठना (पाँव पर पाँव रखकर) 35-39 गोबर, वस्त्र, दाल, पापड, बडी आदि सुखाना 40. राजा, भाई, बन्धु व लेनदार के भय से मंदिर के गुप्त गृह आदि में छुपना 41. पुत्र, स्त्री आदि के वियोग में रुदन करना 42. विकथा करना
चैत्यवंदन भाष्य प्रश्नोत्तरी
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