SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 330
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्र.1189 आगार सूत्र को कितने भागों में विभाजित किया जा सकता है ? चार विभागों में- 1. आगार विभाग, 2. समय विभाग 3. स्वरुप विभाग 4. प्रतिज्ञा विभाग | उ. 1. आगार विभाग - 'अन्नत्थ से लेकर हुज्ज में काउस्सग्गो' तक में 16 प्रकार के आगारों का कथन किया गया है 1 2. समय विभाग कितने समय तक कायोत्सर्ग मुद्रा में खडा / स्थिर रहना है, इस समयावधि का निर्धारण 'जाव अरिहंताणं..... न पारेमि' तक किया गया है । जब तक 'नमो अरिहंताणं' का उच्चारण करके कायोत्सर्ग पूर्ण नही करुं, तब तक कायोत्सर्ग मुद्रा में स्थिर रहना है । 3. स्वरुप विभाग - 'ताव कायं..... अप्पाणं वोसिरामि' तक में कैसे मनवचन काया को कायोत्सर्ग अवस्था में स्थिर रखते हुए कायोत्सर्ग करना है इसके स्वरुप का कथन किया है। शरीर को स्थिर करना स्थान विशेष की अपेक्षा से ( हलन चलन किये बिना), मौन रखकर वाणी व्यापार को सर्वथा बन्द करना, ध्यान से मन को एकाग्र करना । 4. प्रतिज्ञा विभाग - 'अप्पाणं वोसिरामि' अपनी काया को वोसिराता हूँ, ऐसी प्रतिज्ञा करना । प्र.1190 . ' आगार' को संस्कृत में क्या कहते है ? उ. 'आकार' कहते है । प्र. 1191 'सुहुमेहिं दिट्ठि संचालेहिं' आगार रखे बिना अर्थात् सुक्ष्म दृष्टि का हलन चलन किये बिना, निश्चल चक्षुवाला बनकर कौन कायोत्सर्ग करते है ? चैत्यवंदन भाष्य प्रश्नोत्तरी Jain Education International For Personal & Private Use Only 315 www.jainelibrary.org
SR No.004240
Book TitleChaityavandan Bhashya Prashnottari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVignanjanashreeji
PublisherJinkantisagarsuri Smarak Trust
Publication Year2013
Total Pages462
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy