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उ. उससिएणं (उच्छवास) व नीससिएणं (निःश्वास) सहज आगार है। ... प्र.1176 श्वासोश्वास (उच्छवास व निश्वास) को सहज क्रिया क्यों कहा ...
गया ? उ. श्वासोश्वास चैतन्य प्राणी की पहचान है जब तक देह आत्मा से प्रतिबद्ध
है तब तक श्वासोश्वास की प्रक्रिया बिना प्रयत्न सहज रुप से चलती है इस पर हमारा किसी प्रकार का नियंत्रण/अधिकार नही होता है। बिना. .
श्वासोश्वास के चैतन्य प्राणी का जीना असंभव है। प्र.1177 आगंतुक आगार से क्या तात्पर्य है ? . उ. आगंतुक यानि मेहमान । जिस प्रकार से मेहमान के आगमन पर मेजबान
का कोई अधिकार नही होता है । वह जब मर्जी आये तब मेजबान के घर आ सकता है। वैसे ही कुछ ऐसी शारीरिक क्रियाएँ है, जो स्वयमेव हुआ करती है, जिन पर हमारा किसी प्रकार का अधिकार या नियंत्रण नही होता है। ऐसी अधिकार क्षेत्र से परे / बाहर वाली क्रियाओं को आगंतुक कहा जाता है। कायोत्सर्ग की अखण्डता बनाये रखने के लिए
आगार अति आवश्यक है। प्र.1178 आगंतुक आगार के प्रकारों के नाम बताइये ? . उ. दो प्रकार- 1. अल्प निमित्त 2. बहु निमित्त । प्र.1179 अल्प निमित्त आगंतुक से क्या तात्पर्य है ? उ. जो अत्यल्प निमित्त के मिलने (कारण)पर उत्पन्न होते है, उन्हें अल्प
निमित्त आगंतुक कहते है। प्र.1180 अल्प निमित्त आगंतुक आगार के नाम बताते हुए उसकी उत्पत्ति
का कारण बताइये।
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उन्नीसवाँ आगार द्वार
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