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3. गृह कर्म- गृ यानि जिनगृह, जिनगृह की प्रतिमा । 4. गृह कर्म- घोडा, हाथी, मनुष्य एवं वराह (शुकर) आदि के स्वरुप
से निर्मित घर, गृहकर्म कहलाते है। . 5. भित्ति कर्म- घर की दिवाल में उनसे अभिन्न रची गयी प्रतिमाओं
को भित्ति कर्म कहते है। 6. भेंड कर्म - हाथी दाँतों पर खोद कर बनाई गई प्रतिमा को भेंड कर्म
कहते है। प्र.1022 असद्भाव कौनसी स्थापना कहलाती है ? उ. अक्ष कर्म, वराटक कर्म, स्तम्भ कर्म, तुला कर्म, हल कर्म, मूसल कर्म
आदि असद्भाव स्थापना कहलाती है।
चैत्यवंदन भाष्य प्रश्नोत्तरी
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