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प्र.1020 कौनसी स्थापना सद्भाव स्थापना कहलाती है ?
उ.
वस्तु को भाव निक्षेप कहा जाता है। जैसे- स्वर्ग के देवों को देव कहना। द्रव्य के परिणाम को अथवा पूर्वापर कोटि से व्यतिरिक्त वर्तमान पर्याय से उपलक्षित द्रव्य को भाव कहते है ।
भाव निक्षेप के दो प्रकार है - 1. आगम भाव जीव 2. नोआगम भाव जीव । 1. आगम भाव जीव- जो आत्मा जीव विषयक शास्त्रों को जानता है और उसके उपयोग से युक्त है, वह आगम भाव जीव कहलाता है। जैसे - उपाध्याय के अर्थ को जानने वाला तथा उस अनुभव में परिणत व्यक्ति को आगमतः भाव उपाध्याय कहा जाता है ।
1. काष्ठ कर्म 2. चित्र कर्म 3. पोत्त कर्म 4. लेप्य कर्म, 5. लयन कर्म 6. शैल कर्म 7. गृह कर्म 8 भिति कर्म 9. गृह कर्म 10. भेंड कर्म 11. ग्रंथिम कर्म 12. वेष्टिम कर्म 13. पुरिम कर्म 14. संघातिम कर्म आदि सद्भाव स्थापना कहलाती है ।
प्र. 1021 लयन कर्म, शैल कर्म, गृह कर्म, गृह कर्म, भित्तिकर्म और भेंड कर्म से क्या तात्पर्य है ?
उ.
2. नोआगम भाव जीव- जीवन पर्याय या मनुष्य जीवन पर्याय से युक्त आत्मा, नोआगम भाव जीव कहलाता है । जैसे - उपाध्याय के अर्थ को जानने वाला तथा अध्यापन क्रिया में प्रवृत व्यक्ति को नोआगम भाव उपाध्याय कहा जाता है ।
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1. लयन कर्म - लयन अर्थात् पर्वत, पर्वत से निर्मित प्रतिमा । 2. शैल कर्म- शैल यानि पत्थर से निर्मित प्रतिमा ।
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पन्द्रहवाँ जिन द्वार
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