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उ. दो भेद - 1. सद्भाव स्थापना 2. असद्भाव स्थापना ।
1. सद्भाव स्थापना - 'मुख्याकारसमाना सद्भाव स्थापना ।' विवक्षित वस्तु के समान आकृति वाली स्थापना जैसे - गुरू मूर्ति,
प्रतिमा आदि । 2. असद्भाव स्थापना- 'तदाकारशून्या-चासद्भाव-स्थापना' मुख्य
आकार से शून्य कल्पित आकृति, असद्भाव स्थापना है । इसके दो
भेद है- 1. इत्वरिक 2. यावत्कथिक । i इत्वरिक स्थापना- कुछ समय विशेष के लिए अल्पकालीन स्थापना
जैसे- पुस्तक, नवकारवाली। ___ii यावत्कथिक स्थापना- वस्तु जब तक रहे तब तक, यावज्जीवन
के लिए जो स्थापना की जाती है, उसे यावत्कथिक स्थापना कहते
है। जैसे- प्रतिमा, काष्ठादि । प्र.1003 नाम और स्थापना दोनो ही गुण भाव शून्य होते है तो फिर स्थापना ......को अधिक प्रभावशाली क्यों कहा है? उ. आकृति देखने से वस्तु के प्रति जो आदर, सम्मान, सत्कार, हर्षोल्लास
आदि भाव उत्पन्न होते है, वो नाम सुनने से भाव उत्पन्न नहीं होते है, इसलिए स्थापना को अधिक प्रभावशाली कहा है । जैसे- परमात्मा का नाम सुनने से इतना भावोल्लास उत्पन्न नहीं होता है, जितना परमात्मा की • प्रतिमा के दर्शन से होता है। प्र.1004 स्थापना निक्षेप के भेद बताइये? उ. "काष्ठपुस्तचित्र कर्माक्षनिक्षेपादिषु सोऽयं इति स्थाप्यमाना स्थापना" चैत्यवंदन भाष्य प्रश्नोत्तरी
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