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अधिकार दण्डक सूत्र
का नाम
1.
2.
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10.
11.
12.
शक्रस्तव
शक्रस्तव
चैत्यस्तव अरिहंत चेइयाणं
नामस्तव
नामस्तव
श्रुतस्तन्न
श्रुतस्तव
प्रथम पद
सिद्धस्तव
सिद्धस्तव
जे अ अइया सिद्धा
लोगस्स उज्जो अगरे
सवलोए अरिहंत चेइ.
खरवरी
सिद्धस्तव सिद्धाणं बुद्धाणं
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तम तिमिर पडल
सिद्धस्तव जो देवाण
उज्जिंत सेल सिहरे
चत्तारि अट्ठ दस
सिद्धस्तव वेयावच्चगराणं
चैत्यवंदन भाष्य प्रश्नोत्तरी
अंतिम पद
जिअभयाणं
तिविहेण वंदामि
ठामि काउस्सग्गं
( प्रथम स्तुति पर्यन्त )
मम दिसंतु
ठामि काउस्सगं
(द्वितीय स्तुति पर्यन्त)
नम॑सामि
वंदना
भाव जिन
द्रव्य जिन
स्थापना जिन
नाम जिन तीन भुवन
के स्थापना जिन
20 विरहमान जिन
( महाविदेह क्षेत्र )
ठामि काउस्सगं
श्रुतज्ञान
(तृतीय स्तुति पर्यन्त) (आगम)
नमो सया सव्व
सिद्धाणं
नरं व नारिं वा
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समस्त सिद्ध
परमात्मा को
परमात्मा महावीर
को
अरिट्ठ नेमि नम॑सामि | नेमिनाथ परमात्मा
दिसंतु
अष्टापद तीर्थ
पर प्रतिष्ठित 24
तीर्थंकर परमात्मा को
ठामि काउस्सगं
सम्यग्दृष्टि
(चतुर्थ स्तुति पर्यन्त ) शासन देव ।
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