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4. अर्हत्-संपदा गुणों के प्रणिधान से अशुभ कर्मों का क्षय एवं शुभ कर्मों
का उपार्जन होता है। 5. संपदा गुणों का प्रीति-बहुमान युक्त प्रणिधान, प्रणिधाता के भीतर
प्रणिध्येय के समान गुण उत्पन्न करने में सक्षम होता है । इस हेतु से सूत्रकार ने सूत्र में संपदा का उपन्यास किया । प्र882 शक्रस्तव की संपदा का सहेतुक विशिष्ट नाम, संपदा का आदि
और अंतिम एवं संपदा में सर्व पद बताइये ?
संपदा |
संपदा का | संपदा का
नाम __आदि पद
संपदा का अंतिम पद
| संपदा में
सर्व पद
क्रमांक
स्तोतव्य । नमु. (नमुत्थुणं) भगवंताणं
ओघ हेतु | आइग. (आइगराणं) | सयंसंबुद्धाणं विशेष हेतु पुरिसो. (पुरिसुत्तमाणं) | पुरिसवर गन्धहत्थीणं उपयोग हेतु | लोगु. (लोगुत्तमाणं) | लोगपज्जोअगराणं
तद् हेतु . अभय. (अभयदयाणं)| | बोहिदयाणं | सविशेषोपयोग | धम्म. (धम्मदयाणं) चक्कवट्टीणं
स्वरुप अप्प. (अप्पडिहयवर) | विअट्टछउमाणं | निजसमफलद | जिण. (जिणाणं) मोअगाणं 9. . मोक्ष | सव्व. (सव्वन्नूणं) जिअभयाणं
* * * f of of ofo of of of of ofo ofo ofo of ofo of of of off of of age ofo of ofo of ofo ofo of of of ofo of of of ofo ofo of of त्यवंदन भाष्य प्रश्नोत्तरी
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