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________________ संपदा संपदा का क्रमांक नाम उ. 2 6. उ. 7. 8. संपदा का प्रथम पद अभ्युपगम इच्छा. (इच्छामि) निमित्त इरि. (इरियावहियाए) ओघ हेतु गम. (गमणागमणे) इतर हेतु पाणा. (पाणक्कमणे) संग्रह जे मे. (जे मे जीवा विराहिया) जीव एगिंदि (एगिंदिया) विराधना अभि. (अभिहया) प्रतिक्रमण तस्स. (तस्स उत्तरी) 218 संपदा का अंतिम पद पडिक्कमिउं विराहणाए Jain Education International संक पंचिदिया तस्स मिच्छामि दुक्कडं ठामि काउस्सगं संपदा में सर्वपद 2 2 For Personal & Private Use Only 1 प्र.827 चैत्यवंदन महाभाष्यानुसार इरियावहिया सूत्र की संपदा में क्रमशः पद संख्या बताइये ? आठ संपदा में क्रमश: 2, 2, 4, 7, 1, 5, 10 और 1 पद है I 4. 5 चै.म.भा.गाथा 379 प्र. 828 चै.म. भाष्य और धर्म संग्रह में इरियावहिया सूत्र की संपदा की गणना कहाँ से कहाँ तक की गई है ? संपदा की गणना “इच्छामि पडिक्कमिउं से तस्स मिच्छामि दुक्कडं" तक की गई है । तस्स उतरी सूत्र को इसमें सम्मिलित नही किया है । 11 6 चै. म. भाष्य गाथा 368-369 प्र. 829 धर्म संग्रह के अनुसार इरियावहिया सूत्र की संपदा के आदि पदों दसवाँ संपदा द्वार www.jainelibrary.org
SR No.004240
Book TitleChaityavandan Bhashya Prashnottari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVignanjanashreeji
PublisherJinkantisagarsuri Smarak Trust
Publication Year2013
Total Pages462
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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