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संपदा के प्रथम पद के नाम क्रमश : इच्छा, इरिगम, पाणा, जे मे, एगिंदा, अभि, तस्स है ।
प्र. 823 सम्पदा के प्रथम पद के ही नाम क्यों बताये है, अन्य क्यों नही ?
उ.
उ.
प्र.824 इच्छा - इरि-गम-पाणा-जे मे एगिंदि - अभि-तस्स से क्या तात्पर्य है ?
इच्छा यानि इच्छामि पडिक्कमिउं, इरि - इरियावहिया, गम-गमणागमणे, पाणा-पाणक्कमणे, जे मे-जे मे जीवा विराहिया, एगिंदि - एगिंदिया, अभिअभिहया, तस्स-तस्स उत्तरी से लेकर ठामि काउस्सग्गं तक ।
उ.
सम्पदा के प्रथम पद ज्ञात हो जाने पर मध्य पद स्वत: ही ज्ञात हो जाते है, इसी बात को ध्यान में रखते हुए समस्त सुत्रों की सम्पदाओं के प्रथम पद ही बताये गये है ।
प्र.825 प्रवचन सारोद्धार के अनुसार इरियावहिया सूत्र की संपदा के प्रथम पद बताइये ?
उ.
उ.
प्र. सारोद्धार के अनुसार इरियावहिया सूत्र की प्रथम चार संपदा के प्रथम पद चैत्यवंदन भाष्य के पदों सें भिन्न है, शेष चार सम्पदा के प्रथम पदों
नाम समान है। जो निम्न है - इच्छा, गम, पाण, ओसा, जे मे, एगिदि, अभि, तस्स है | ये आठ सम्पदाएं क्रमशः चार, एक, तीन, एक, एक, पांच, ग्यारह और छः पद वाली है ।
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प्र. सा. गाथा 80
प्र.826 इरियावहिया सूत्र की संपदा के नाम, प्रथम पद, अंतिम पद व प्रत्येक संपदा में कुल पद संख्या बताइये ?
चैत्यवंदन भाष्य प्रश्नोत्तरी
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