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प्र.716 नवकार महामंत्र का ध्यान कैसे करना चाहिए ?
आठ पंखुडी वाले सफेद कमल की कल्पना करके उसकी कर्णिका में सात अक्षर वाले 'नमो अरिहंताणं' मंत्र का ध्यान करना, फिर पूर्व दिशा की पंखुडी में 'नमो सिद्धाणं', दक्षिण दिशा की पंखुडी में 'नमो आयरियाणं' पश्चिम दिशा में 'नमो उवज्झायाणं' और उत्तर दिशा में 'नमो लोए सव्व साहुणं' का स्थापन कर चिंतन करना चाहिए तथा विदिशा की चार पंखुड़ियों में क्रमशः अग्निकोण में 'एसो पंच नमुक्कारो' ,नैऋत्य कोण में 'सव्वपावप्पणासणो' , वायव्य कोण में 'मंगलाणं च सव्वेसिं' और ईशान कोण में 'पढमं हवइ मंगलं' इस प्रकार से पंच परमेष्ठि नमस्कार
मंत्र का ध्यान करना चाहिए। योगशास्त्र आठवा प्रकाश प्र.717 पूज्य श्री पादलिप्त सूरि कृत प्रतिष्ठा पद्धति के अनुसार जाप कितने
प्रकार का होता है ? उ. तीन प्रकार -1. मानस जाप 2. उपांशु जाप 3. भाष्य जाप । प्र.718 मानस जाप से क्या तात्पर्य है ? उ. जल्प रहित, मात्र मन में जो जाप किया जाता है, उसे मानस जाप कहते
प्र.719 उपांशु जाप किसे कहते है ? उ. अन्तर्जल्प के शब्द मात्र स्वयं को ही सुनाई दे, अन्य को नही दे, इस
प्रकार से कृत जाप को उपांशु जाप कहते है । प्र.720 भाष्य जाप किसे कहते है ? उ. जाप की ध्वनि (मन्त्रोच्चारण) अन्य को भी सुनाई दे, उसे भाष्य जाप
कहते है। ++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++ चैत्यवंदन भाष्य प्रश्नोत्तरी
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