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________________ जो गुणइ अट्ठ लक्खे, सो तइ अ भवे लहइ सिद्धिं ॥ नमस्कार पंच विशांत अर्थात् 8,08,08,808 नवकार मंत्र का जाप करने से । प्र.706 ‘अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उवज्झाय, साहु' इन 14 अक्षरों का कितनी बार जाप करने से एक उपवास का फल मिलता है ? उ. इन 14 अक्षरों का 200 बार जाप करने से। महानिशीथ सूत्र प्र.707 'अरिहंत, सिद्ध' इन छः अक्षरों का कितनी बार जाप करने से एक उपवास का फल मिलता है ? उ. 400 बार जाप करने से । महानिशीथ सूत्र प्र.708 नवकार महामंत्र का कितना जाप करने पर व्यक्ति नरक में नही जाता है? उ. 'नव लाख' का जाप करने वाला व्यक्ति नरक में नही जाता है। प्र.709 नव करोड नवकार महामंत्र का जाप करने वाला कौनसे भव में मोक्ष जाता है ? उ. 'तीसरे भव' में मोक्ष जाता है। प्र.710 नवकार मंत्र की अनानुपूर्वी गिनने से कितने उपवास का लाभ ... मिलता है? उ. 180 उपवास का। प्र.711 पंच परमेष्ठि सूत्र (नमस्कार सूत्र) के प्रत्येक अक्षर पर कितनी विद्याएं विद्यमान है ? । उ. मंत्र पंच नमस्कार कल्पकारस्कार धिकः । . अस्तिप्रत्यक्षराष्टाग्रोत्कृष्ट विद्यासहस्त्रकः॥ ++++++++++++++++++++++++++++++++++++ ++++ चैत्यवंदन भाष्य प्रश्नोत्तरी 191 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004240
Book TitleChaityavandan Bhashya Prashnottari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVignanjanashreeji
PublisherJinkantisagarsuri Smarak Trust
Publication Year2013
Total Pages462
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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