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________________ भेद बताये है ? उ. पांच भेद 1. एकाङ्ग मात्र एक अंग सिर नमाकर प्रणाम करना । 2. द्वयंग दोनों हाथों को जोड़कर प्रणाम करना । 3. त्र्यंग .. दोनों हाथ व मस्तक झुकाकर अंजलिबद्ध प्रणाम करना । दोनों घुटनें व दोनों हाथ नमाना । 4. चतुरंग 5. पञ्चांग - पांच अंग अर्थात् दोनों हाथ, दोनों घुटनें तथा सिर नमाना अर्थात् पञ्चांग प्रणिपात करना । प्र.605 मध्यम चैत्यवंदन के प्रकारों का उल्लेख कीजिए ? - - - उ. तीन प्रकार 1. दण्डक 2. जुअला 3. दण्ड । 1. दण्डक - दण्डक यानि नमुत्थुणं । नमुत्थुणं + विशेष रुप से अरिहंत चेइयाणं (चैत्यस्तव) + अन्नत्थ + 1 नवकार का कायोत्सर्ग + अध्रुव स्तुति अर्थात् एक दण्डक व एक स्तुति इन दोनों के युगल द्वारा परमात्मा की जो स्तुति स्तवना की जाती है, उसे मध्यम चैत्यवंदन कहते है । Jain Education International 2. जुअला - मुख्य रुप से दो दण्डक सूत्र ( नमुत्थुणं + अरिहंत चेइयाणं . सूत्र) और दो स्तुति (अध्रुव स्तुति + ध्रुव स्तुति) इन दोनों के युगल से परमात्मा की जो स्तवना की जाती है, वह मध्यम चैत्यवंदना है। नमुत्थुणं + अरिहंत चेइयाणं + अन्नत्थ + 1 नवकार का कायोत्सर्ग + अध्रुव स्तुति + लोगस्स ( ध्रुव स्तुति ) । लोगस्स को यहाँ ध्रुव स्तुति की संज्ञा दी गई है, क्योंकि इसमें 24 तीर्थंकर परमात्मा की नाम पूर्वक स्तवना की गई है । चैत्यवंदन भाष्य प्रश्नोत्तरी For Personal & Private Use Only 163 www.jainelibrary.org
SR No.004240
Book TitleChaityavandan Bhashya Prashnottari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVignanjanashreeji
PublisherJinkantisagarsuri Smarak Trust
Publication Year2013
Total Pages462
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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