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पांचवा चैत्यवंदना द्वार प्र.601 चैत्यवंदन से क्या तात्पर्य है ? उ. जिनेश्वर परमात्मा की मन, वचन व काया से स्तुति, स्तवना करना
चैत्यवंदना कहलाता है। प्र.602 चैत्यवंदन के प्रकारों का नामोल्लेख कीजिए ? उ. तीन प्रकार - 1. जघन्य 2. मध्यम 3. उत्कृष्ट । .. 1. जघन्य चैत्यवंदन - 'नमो जिणाणं' नामक यह एक पद अथवा
भावपूर्ण स्तुति बोलकर परमात्मा की स्तुति करना, जघन्य चैत्यवंदन
कहलाता है। 2. मध्यम चैत्यवंदन - दण्डक और स्तुति युगल द्वारा परमात्मा की
स्तवना करना, मध्यम चैत्यवंदना कहलाता है। , 3. उत्कृष्ट चैत्यवंदन - पांच दण्डक, चार स्तुति, स्तवन और प्रणिधान
सूत्र द्वारा परमात्मा की स्तुति करना, उत्कृष्ट चैत्यवंदन कहलाता है। प्र.603 चैत्यवंदन लघु भाष्यानुसार जघन्य चैत्यवंदन के प्रकार बताइये ? उ. पांच प्रकार - ___ 1. मात्र अंजलिबद्ध प्रणाम द्वारा परमात्मा की स्तवना करना ।
2. 'नमो जिणाणं' पद बोलकर। 3. एक श्लोक द्वारा परमात्मा की स्तुति करना । 4. अनेक श्लोक द्वारा परमात्मा की स्तवना करना ।
5. 'नमुत्थुणं' सूत्र द्वारा परमात्मा की स्तुति करना । प्र.604 प्रवचन सारोद्धार में अंग की अपेक्षा से जघन्य चैत्यवंदन के कितने ++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++
पांचवाँ चैत्यवंदना द्वार
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