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वज्रऋषभनाराच आदि संहनन रुपी संयम साधना में उपयोगी सामग्री की प्राप्ति हो ऐसी कामना, प्रशस्त निदान है । धनिक कुल, बंधुओं के कुल
में उत्पन्न होने की कामना का निदान, प्रशस्त निदान है। . प्र.555 कौन-कौनसे निदान अप्रशस्त निदान कहलाते है ?
अभिमान के वशीभूत उत्तम मातृवंश, उत्तम पितृवंश की अभिलाषा करना, आचार्य पदवी, गणधर पद, तीर्थंकर पद, सौभाग्य, आज्ञा और सुन्दरता की प्रार्थना करना, अप्रशस्त निदान है । क्योंकि मान कषाय से दूषित होकर उपर्युक्त अवस्था की अभिलाषा की जाती है । क्रुद्ध होकर मरण वेला (मृत्युवेला) में शत्रुवधादिक की इच्छा करना भी
अप्रशस्त निदान है। प्र.556 भोगकृत निदान किसे कहते है और कौन-कौनसे निदान भोगकृत
निदान कहत्वाते है ? उ. देव और मनुष्य जीवन में प्राप्त होने वाले भोगों की अभिलाषा करना, भोगकृत
निदान है । स्त्रीपना, धनिकपना, श्रेष्ठि पद, सार्थवाहपना, केशवपद, सकल
चक्रवर्तीपना और इनके भोगों की अभिलाषा करना भोग निदान है। प्रा557 समस्त दुःखों के नाशक (संयम) का भोगकृत निदान कैसे नाश _करता है ? उ. जैसे कोई कुष्ठरोगी मनुष्य कुष्ठरोग नाशक रसायन पाकर कुष्ठरोग को जलाता
है, वैसे ही निदान करने वाला मनुष्य सर्व दुःख रुपी रोग का नाशक संयम
का भोगकृत निदान नाश करता है। प्र.558 संयम के कारणभूत कौन-कौन से निदान मुमुक्षु मुनि नहीं करते है ___और क्यों नही करते है ? ++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++ चैत्यवंदन भाष्य प्रश्नोत्तरी
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