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अष्टम आलम्बन त्रिक प्र.489 आलम्बन त्रिक (वर्णादि त्रिक) से क्या तात्पर्य है ? उ. मन, वचन और काया को शब्द, अर्थ और प्रतिमा के आलम्बन (सहारा,
आधार) से स्थिर (एकाग्र) करके परमात्म के स्वरुप से एकाकार करना,
भक्ति योग में तदाकार बनना ही, आलम्बन त्रिक है। प्र.490 आलम्बन त्रिक के नाम बताइये ? उ. 1. वर्णालम्बन (सूत्रालम्बन) 2. अर्थालम्बन 3. प्रतिमालम्बन । प्र.491 वर्णालम्बन ( सूत्रालम्बन) किसे कहते है ? उ. भाव पूजा में बोले जाने वाले सूत्रों का आलम्बन लेना । अर्थात् चैत्यवंदन
करते समय सूत्रों के अक्षर शुद्ध, स्पष्ट, स्वर व व्यंजन का भेद, पदच्छेद, शब्द और संपदा को समझ सकें, ऐसे मन्द व मुधर स्वर में बोलना,
वर्णालम्बन कहलाता है। प्र.492 अर्थ आलम्बन किसे कहते है ? उ. सूत्र में निहित अर्थ का सहारा लेना । अर्थात् सूत्रों को उच्चारित करते समय
मन में सूत्रों के अर्थ का भी चिन्तन करना, अर्थ आलम्बन कहलाता है। प्र.493 प्रतिमा आलम्बन से क्या तात्पर्य है ? । उ. परमात्मा की प्रतिमा का सहारा लेना । सूत्र के अर्थानुसार अरिहंत परमात्मा
का प्रत्यक्ष भाव सहित गुणात्मक स्मरण करना, प्रतिमा आलम्बन है । प्र.494 योग की अपेक्षा से आलम्बन त्रिक को समझाइये ? उ. अर्थालम्बन - मन को सूत्र के अर्थ का आलम्बन, अर्थालम्बन है ।
वर्णालम्बन - वचन को सूत्रोच्चार का आलम्बन, सूत्र (वर्ण) आलम्बन है। प्रतिमालम्बन - काया को जिन बिम्ब का आलम्बन, प्रतिमालम्बन है।
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अष्टम आलम्बन त्रिक
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