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________________ उ.. 'निःशूकत्वाद शौचऽपि, देव पूजा तनोति य । पुष्पैर्भूपति तैर्यश्च, भवतः श्वपचावि मौ ॥' अर्थात् अपवित्र शरीर व गिरे हुए पुष्पों से परमात्मा की पूजा करने वाला पूजक चांडाल के घर जन्म लेता है ।। प्र389 तिलक किस आसन में बैठकर करना चाहिए ? उ.. परमात्मा की दृष्टि हम पर न पड़े ऐसे स्थान पर पद्मासन में बैठकर तिलक करना चाहिए। .. 1390 तिलक ललाट ( भाल) पर क्यों किया जाता है ? उ. परमात्मा की आज्ञा को शिरोधार्य करने एवं उनके उपदेशानुसार जीवन को निर्मित करने का संकल्प करते हुए भाल पर तिलक किया जाता है। प्र391 तिलक चंदन से ही क्यों किया जाता है ? उ.. हमारे शरीर का सबसे संवेदनशील स्थल तिलक लगाने वाला स्थल है और संवेदनशीलता को अधिक से अधिक ग्रहण करने की क्षमता चंदन में ही हैं इसलिए तिलक चंदन से ही किया जाता है। 1392: मंदिर में घण्टनाद क्यों किया जाता है ? . उ. देवाधिदेव जिनेश्वर परमात्मा के दर्शन होने पर अपने मन के आनन्द, . हर्षोल्लास को अभिव्यक्त करने के लिए घंटनाद किया जाता है। प्र393 घंटनाद जिनमंदिर में कहाँ (कब), कितनी बार और क्यों किया जाता है? उ. घटनाद जिनमंदिर में चार बार - 1. जिनमंदिर के प्रवेश के समय 2. . . परमात्मा के अभिषेक के समय 3. द्रव्य पूजा के अंत व भाव पूजा के . प्रारंभ में 4. जिनमंदिर से बाहर निकलते समय किया जाता है। ++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++ चैत्यवंदन भाष्य प्रश्नोत्तरी . 95 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004240
Book TitleChaityavandan Bhashya Prashnottari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVignanjanashreeji
PublisherJinkantisagarsuri Smarak Trust
Publication Year2013
Total Pages462
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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