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८. व्यवहार भाष्य-इसके रचनाकार का उल्लेख नहीं मिलता है। परन्तु व्यवहार भाष्य पर मलयगिरि ने जो विवरण लिखा है उससे व्यवहार भाष्य की उपयोगिता बढ़ जाती है। इस भाष्य में दस उद्देशक हैं जिनमें साधु और साध्वियों के आचार-विचार, तप, प्रायश्चित्त, आलोचना, गच्छ, पदवी, विहार, उपाश्रय, उपकरण, प्रतिमाएँ आदि का विवेचन इसकी प्रमुख विशेषता है।
__उक्त भाष्यों के अतिरिक्त अन्य भाष्य भी आगमों पर लिखे गये हैं जिनका संक्षिप्त परिचय इस प्रकार है
बिशेषावश्यक भाष्य-आवश्यक सूत्र पर लिखा गया एक विस्तृत, विशाल और बृहत्काय महाकाव्य विशेषावश्यक भाष्य है। यह ज्ञान-विज्ञान का महाकोष है।५८
पिण्ड नियुक्ति भाष्य-पिण्ड नियुक्ति के सूत्र पर रचा गया यह भाष्य ४६ गाथाओं से युक्त है, जिसमें श्रमणों के पिण्ड (आहार) पर विचार किया गया है। पिण्ड के दोष आधाकर्म, औदेशिक, मिश्र, जात, सूक्ष्म प्रवृत्ति का विश्रोधी-अवश्रोधी आदि पर विचार किया गया है। इसमें राजा चन्द्रगुप्त का उल्लेख है। उनके महामंत्री चाणक्य का भी विवेचन है। इसमें पाटलीपुत्र में पड़ने वाले दुर्भिक्ष (काल) का भी उल्लेख है। इस भाष्य में आचार्य सुस्थित और उनके शिष्यों का भी वर्णन है। इसलिए इसका ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण स्थान है।
ओघ नियुक्ति लघु भाष्य-यह भाष्य किसका है? इसका कहीं उल्लेख नहीं है। इस भाष्य में ३२२ गाथाएँ हैं, जिनमें श्रमण धर्म की चर्चा की गई है।
. ओघ नियुक्ति बृहद् भाष्य-इसके रचनाकार का भी उल्लेख नहीं है। परन्तु यह ओघ नियुक्ति लघु भाष्य के विषय को विस्तार से प्रस्तुत करने वाला विशालकाय आगम भाष्य है। इसमें २५१७ गाथाएँ हैं। भाष्य की गाथाएँ नियुक्तियों की गाथाओं में समाविष्ट हो गई हैं।
आगमों पर लिखे गए भाष्य प्राकृत भाषा में हैं, जिनका भाषा की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण स्थान है। इन भाष्यों में भाष्यकारों ने शब्द अर्थ की प्रधानता के साथ प्राकृत में जो परिभाषाएँ दी हैं वे महत्त्वपूर्ण हैं। शब्द के रहस्य को प्रतिपादित करने के लिए भाष्यकारों ने व्युत्पत्तिपरक एवं नियुक्ति समन्वित शैली को अपनाया है। दार्शनिक पक्ष को उजागर करने के लिए भाष्यकारों ने नयों का सहारा लिया है तथा विषय की वास्तविकता का बोध कराने के लिए निक्षेप पद्धति का आश्रय लिया है। भाषा, भाव, अभिव्यक्ति, धर्म, दर्शन, समाज, संस्कृति, अर्थशास्त्र, राजनीति-विज्ञान, समाज-शास्त्र गणित-विज्ञान, ज्योतिष, भूगोल, खगोल आदि के तत्त्व भाष्यकारों के भाष्यों में देखने को मिलते हैं। आचाराङ्ग-शीलाङ्कवृत्ति : एक अध्ययन
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