________________ 66. आचारांग वृत्ति, पृष्ठ 89 67. आचारांग वृत्ति, पृष्ठ 95 68. आचारांग सूत्र, पृ. 415, 417 69. आचारांग वृत्ति, पृष्ठ 79 70. वही, पृष्ठ 82 71. वही, पृष्ठ 80 72. आचारांग वृत्ति, पृष्ठ 252 73. वही, पृष्ठ 254 आचारांग वृत्ति, पृष्ठ 257 75. आचारांग वृत्ति, पृष्ट 258 76. वही, पृष्ठ 258 77. वही, पृष्ठ 259 78. आचारांग वृत्ति, पृष्ठ 261 80. आचारांग वृत्ति, पृष्ट 267 81. आचारांग वृत्ति, पृष्ट 263 82. वही, पृष्ठ 264 84. तत्वार्थ सूत्र 9/5, पृ. 208 85. आचारांग वृत्ति, पृष्ट 80 86. वही, पृष्ठ 267 . 87. स्थानांग-६ 88. आचारांग वृत्ति, पृष्ट 273 "उच्चवइ सरीराओ उच्चारो शरीरादुत् प्राबल्येन-अपयाति चरतीति वा उच्चार विष्ठाः / वही, पृष्ठ 273 “प्रकर्षण श्रवतीति प्रश्रवणम्" 90. आचारांग वृत्ति, पृष्ठ 274 वही, पृष्ठ 23 "गुक्ता गुक्ति हिं सव्वाहि / / " 92. तत्वार्थ सूत्र पृ. 207 “सम्यग्योगनिग्रहो गुप्ति" 93. आंचारांग वृत्ति, पृष्ठ 17 94. उत्तराध्ययन 24/20 -95. आचारांग वृत्ति, पृष्ठ 204 96. आचारांग वृत्ति, पृष्ठ 17 97. उत्तराध्ययन 24/22 98. आचारांग वृत्ति, पृष्ठ 206 99. आचार्य-शिवार्य, भगवती आराधना गाथा 11867 100.. आ.ब. 257, सव्वेऽषिय वयणविसोहिकरि गा। 101. आचारांग वृत्ति, पृष्ठ 257 आचाराङ्ग-शीलाङ्कवृत्ति : एक अध्ययन Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org