________________ सन्दर्भ ग्रन्थ 1. आचारांग वृत्ति, पृष्ठ 4 2. आचारांग वृत्ति, पृष्ठ 5 3. आचारांग वृत्ति, पृष्ठ 3 4. वही, पृष्ठ 4 5. आचारांग वृत्ति, पृष्ठ 1 6. वही, पृष्ठ 1 “दविए दंसणसोही दंसण सुद्धस्स चरणं तु" 7. वही, पृष्ठ 3 8. आचारांग वृत्ति, पृष्ठ 3 9. वही, पृष्ठ 3, 4 10. आचारांग वृत्ति, पृष्ठ 53 11. वही, पृष्ठ 12. वही, पृष्ठ 123 13. वही, पृष्ठ 117 14. वही, पृष्ठ 117 15. उत्तराध्ययन वृत्ति, पृष्ठ 67 “शंकनं शङ्कितं देशसर्वशङ्कात्मकं तस्याभावो नि:शंकितम्" 17. आचारांग वृत्ति, पृष्ठ 3 (क) निस्संकियनिक्कंखिय निव्वतिगिच्छाअमूठदिटठी य ____उववूहथिरीकरणे वच्छल्ल पभावणे अटठ् / / (ख) आचार्य कुन्दकुन्द-समयासार गा. 228 18. आचारांग वृत्ति, पृष्ठ 131 19. वही, पृष्ठ 3 20. आचारांग वृत्ति, पृष्ठ 66 21. वही, पृष्ठ 3 22. वही, पृष्ठ 4 .. 23. आ. पूज्यपाद–सर्वार्थसिद्धि 9/20 “मनोनियमनार्थत्वात् / " . 24. आचारांग वृत्ति, पृष्ठ 4 25. वही, पृष्ठ 161, 162, 163 26. आचारांग वृत्ति, पृष्ठ 66 . 27: वही, पृष्ठ 135 28. वही, पृष्ठ 136 29. आचारांग वृत्ति, पृष्ठ 137 आचाराङ्ग-शीलाङ्ककृति : एक अध्ययन Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org