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नय की संख्या
वृत्तिकार ने सप्तनय का निर्देश किया है। उनके नाम नहीं गिनाये हैं । यद्यपि नय मूल रूप से दो द्रव्यार्थिक और पर्यायार्थिक हैं १०७ एवं (१) निश्चय-नय और (२) व्यवहार-नय१°८ आगम दृष्टि से आचार्यों ने प्रतिपादित किये हैं ।
नैगम, संग्रह, व्यवहार, ऋजु सूत्र, शब्द, समभिरूढ़ और एवं भूत- ये सात नय सर्वत्र प्राप्त होते हैं, जिन्हें वृत्तिकार ने स्वयं सपना की संज्ञ की संज्ञा से प्रतिपादित किया है ।
नय
अध्यात्मनय
(दे. चार्ट नं. २)
द्रव्यार्थिक
.१०६
पर अपर पर
ज्ञाननय अर्थनय अर्थनय शब्दनय
अपर
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पर्यायार्थिक
आगम
शास्त्रीय (दे. नय 1/2) (दे. चार्ट नं. २)
नैगम संग्रह व्यवहार ऋजुसूत्र शब्द समभिरूढ़ एवंभूत द्रव्ये द्रव्यारोपण
द्रव्ये गुणारोपण
द्रव्ये पर्यायारोपण
.
सूक्ष्म स्थूल
नय
(दे. नय / III/ २)
आचाराङ्ग - शीलाङ्कवृत्ति : एक अध्ययन
सद्भूत
गुणे द्रव्यारोपण
गुणे गुणारोपण
शुद्ध अशुद्ध स्वजाति वि जाति उभय (दे. उपचार)
पर्यायारोपण
पर्याये द्रव्यारोपण
पर्याये गुणारोपण
पर्याये पर्यायारोपण
आगमनय
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उपनय
(दे. नय/५/४/८)
उपचति असद्भूत
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