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शब्दों का प्रयोग किया है। उन्होंने यह कहा है कि व्यक्ति की प्रत्येक क्रिया का 'परोक्ष या प्रत्यक्ष रूप से अवश्य दूसरे पर असर पड़ता है। प्रत्यक्ष ज्ञान और परोक्ष ज्ञान-ये दो शब्द प्रयोग किये हैं।९८८
मति, श्रुत, अवधि, मनःपर्यव और केवलज्ञान-ये पाँच ज्ञान ही प्रमाण हैं।९९ इनमें से आदि के दो ज्ञान परोक्ष हैं और शेष तीन ज्ञान प्रत्यक्ष हैं। इसके अतिरिक्त मति, स्मृति, संज्ञा, चिन्ता और अभिनिबोध भी प्रमाण के विषय हैं। इन प्रमाणों के भेदों को निम्न रेखांकित चित्र से समझा जा सकता है।
प्रमाण
परोक्ष
प्रत्यक्ष
मन:पर्यय.
केवल
मति
श्रुत अवधि (स्मृति, संज्ञा , चिन्ता, अभिनिबोध)
ਭਾਵ ਅi
अवंग्रह
ईहा
अवाय
धारणा
प्रमाण का एक अन्य रेखांकित चित्र
प्रमाण
प्रत्यक्ष
परोक्ष
साव्यवहारिक
मुख्य
मनःपर्यय
केवल स्मृति प्रत्यभिज्ञान तर्क
अनुमान, आगम
अवग्रह ईहा
अवाय धारणा
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आचाराङ्ग-शीलावृत्ति : एक अध्ययन
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