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________________ श्रमण संघ की लोकप्रिय साध्वी रत्ना श्री चारित्रप्रभा जी म. सा. एक परिचय -साध्वी डॉ. राजश्री श्रमण संघ की लोकप्रिय विदुषी साध्वी रत्ना श्री चारित्रप्रभा जी म. सा. जैन समाज की एक ऐसी सच्ची साध्वी रत्ना हैं जिनकी विद्वत्ता, दूरदर्शिता, निर्भीकता, निष्पक्षता, उदारता, संयम के प्रति सजगता, विनम्रता एवं मधुरता अनुपम है। आपका जन्म वीरों की भूमि, झीलों की नगरी उदयपुर जिले में बसे एक नन्हें-से गाँव बगडून्दा में हुआ। आपके पिता श्री कन्हैयालाल जी एवं माता हंजा बाई धार्मिक प्रवृत्ति की थीं। उन्हीं के शुभ संस्कारों का बीजारोपण आपके जीवन में देखने को मिलता है। १८ वर्ष की युवावस्था में आपने सन् १९६९ में नाथद्वारा में दीक्षा ग्रहण की। आप प्रसिद्ध वक्ता के रूप में विख्यात, वाणी की जादूगर, स्नेह सौजन्य की साकार मूर्ति, मन-मस्तिष्क एवं व्यवहार की माधुरी छवि, संघ की प्रबल समर्थक एवं प्रेरक विचारों से ओजपूर्ण व गतिशील, समाज सुधारिका, समन्वय एवं शांति की अग्रदूत, टूटे स्नेह तारों के संयोजन की अपूर्व सूझबूझ वाली, अद्वितीय लोकप्रिय, संगठन शक्ति से सम्पन्न, हृदय की कोमलता, विचारों की दृढ़ता, सहस्रों-सहस्र नर-नारियों से पूजित एवं महिमामंडित होने पर भी आप अति विनम्र हैं। आप अपने सम्प्रदाय की विदुषी साध्वी के रूप में अपनी दूरदर्शितापूर्ण सूझबूझ से अपना दायित्व पूरा कर रही हैं। आपके महान् व्यक्तित्व से सभी प्रभावित हैं। आपका व्यक्तित्व चित्ताकर्षक, मनमोहक एवं उत्प्रेरक है। आप ज्ञान, वैराग्य और संयम की प्रतिमूर्ति हैं। आपने अल्पवयं में ही व्याकरण, काव्य, न्याय, दर्शन, आगम, ज्योतिष आदि विभिन्न शास्त्रों में निपुणता प्राप्त की है यह आपकी प्रखर बौद्धिक प्रतिभा का परिणाम है। आप दृढ़-संकल्प की धनी हैं। आपका चिंतन स्पष्ट, तर्कसंगत एवं विवेकपूर्ण है। आपका चिंतन आत्मकेन्द्रित है, सत्य प्रधान है। आपके चिंतन में मत-पंथ-सम्प्रदाय का कोई अवरोध नहीं है। आप अन्त:करण से सदा सत्य को समर्पित हैं। (११) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004238
Book TitleAcharang Shilank Vrutti Ek Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajshree Sadhvi
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2001
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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