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समर्पण
मदीय मनमन्दिर में भगवती रूप वन्दनीय है ! व्यक्तित्व और कृतित्त्व के रूप में अनुपम शब्दायित है। गुण- गरिमा का ज्योतिर्मय स्वरूप महनीय 1
अन्तर्मन
जीवन-दर्शन
सुवासित सुमन नंदनवन
शीतल चंदन उपवन
सदय-हृदय
अभिराम
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वचन- चयन
अध्यात्म
अविराम
मंगल दर्शन करुणा-सदन
जन- बोधिका
मनोनुशासन
संयम-साधिका आत्म-शोधिका
है।
- चारित्रप्रभा जी महासती, जिनशासन में दिनमणि ।
श्रमणी - मणि ।।
प्रतिभा - प्रतिमा गुरु माता " राजश्री” श्रीचरणों में समर्पिता
प्रति
तदपि सश्रद्ध अर्पित है, ग्रन्थ
कौमुदी ज्योतिपुंज
है
रूप
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पल ।
1
शतदल !!
साध्वी डॉ. राजश्री
1
है।
1
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