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आवश्यकनियुक्तिः
सामायिकनियुक्तिरपि षट्प्रकारा तामाहणामट्ठवणा दव्वे खेत्ते काले तहेव भावे य । सामाइयसि एसो णिक्खेओ छविओ णेओ ।।१७।।
नाम स्थापना द्रव्यं क्षेत्रं कालस्तथैव भावश्च ।
सामायिके एषः निक्षेपः षड्विधो ज्ञेयः ॥१७॥ अथवा निक्षेपविरहितं शास्त्रं व्याख्यायमानं वक्तुः श्रोतुश्चोत्पथोत्थानं कुर्यादिति सामायिकनियुक्तिनिक्षेपो वर्ण्यते-नामसामायिकनियुक्ति:, स्थापनासामायिकनियुक्तिः, द्रव्यसामायिकनियुक्तिः, क्षेत्रसामायिकनियुक्ति:, कालसामायिकनियुक्तिः, भावसामायिकनियुक्तिः । नामस्थापनाद्रव्यक्षेत्रकालभावभेदेन सामायिक एष निक्षेप उपाय: षट्प्रकारो भवति ज्ञातव्यः ।
शुभनामान्यशुभनामानि च श्रुत्वा रागद्वेषादिवर्जनं नामसामायिकं नाम । काश्चन स्थापना: सुस्थिताः सुप्रमाणाः सर्वावयवसम्पूर्णाः सद्भावरूपा मन आह्लादकारिण्यः । काश्चन पुनः स्थापना दुस्थिताः प्रमाणरहिताः सर्वावयवैरसम्पूर्णाः सद्भावरहितास्तास्तासु उपरि रागद्वेषयोरभाव: स्थापनासामायिकं नाम ।
गाथार्थ-नाम, स्थापना, द्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव-सामायिक में यह छह प्रकार का निक्षेप जानना चाहिए ॥१७।। - आचारवृत्ति-अथवा निक्षेप रहित शास्त्र का व्याख्यान यदि किया जाता है तो वह वक्ता और श्रोता दोनों को ही उत्पथ (गलत) मार्ग में पतन करा देता है इसलिए सामायिक नियुक्ति में निक्षेप का वर्णन करते हैं । नाम सामायिक नियुक्ति, स्थापना सामायिक नियुक्ति, द्रव्य सामायिक नियुक्ति, क्षेत्र सामायिक नियुक्ति, काल सामायिक नियुक्ति और भाव सामायिक नियुक्ति-इस तरह नाम, स्थापना, द्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव के भेद से सामायिक में यह निक्षेप अर्थात् जानने का उपाय छह प्रकार के जानना चाहिए । उसे ही स्पष्ट करते हैं
- शुभ नाम और अशुभ नाम को सुनकर राग-द्वेष आदि का त्याग करना नाम सामायिक है। . ___कुछ स्थापनाएँ अर्थात् मूर्तियाँ सुस्थित हैं, सुप्रमाण हैं, सर्व अवयवों से सम्पूर्ण हैं, सद्भावरूप-तदाकार हैं और मन के लिए आह्लादकारी हैं । पुन: कुछ एक स्थापनाएँ, दुःस्थित हैं, प्रमाण रहित हैं, सर्व अवयवों से परिपूर्ण नहीं है और सद्भाव रहित-अतदाकार हैं-इन दोनों मूर्तियों में राग-द्वेष का अभाव होना स्थापना सामायिक है।
___ सोना, चाँदी, मुक्ताफल, माणिक्य आदि मिट्टी, काष्ठ, कंटक आदि में सम-भाव रखना, राग-द्वेष का अभाव द्रव्य-सामायिक है ।
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