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आवश्यकनियुक्तिः
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चूलिकामुपसंहरनाहणिज्जुत्ती णिज्जुत्ती एसा कहिदा मए समासेण । अह वित्थारपसंगोऽणियोगदो होदि णादव्यो ।।१८८।।
निर्युक्तेर्नियुक्तिः एषा कथिता मया समासेन ।
अथ विस्तारप्रसंगो अनियोगात् भवति ज्ञातव्यः ॥१८८॥ निर्युक्तेर्नियुक्तिरावश्यकचूलिकावश्यकनियुक्तिरेषा' कथिता मया समासेन संक्षेपेणार्थविस्तारप्रसंगोऽनियोगादाचारांगाद्भवति ज्ञातव्य इति ॥१८८॥
आवश्यकनियुक्ति सचूलिकामुपसंहरन्नाहआवासयणिज्जुत्ती एवं कधिदा समासओ विहिणा । जो उवजूंजदि णिच्चं सो सिद्धिं जादि विसुद्धप्पा ।।१८९।।
आवश्यकनियुक्तिः एवं कथिता समासतो विधिना । य: उपयुक्ते नित्यं स: सिद्धिं याति विशुद्धात्मा ॥१८९।।
चूलिका का उपसंहार करते हुए कहते हैं
गाथार्थ-मैंने संक्षेप से यह नियुक्ति की नियुक्ति कही है और विस्तार रूप से अनियोग ग्रन्थों से जानना चाहिए ॥१८८॥ .. आचारवृत्ति-मैंने संक्षेप से यह नियुक्ति की नियुक्ति अर्थात् आवश्यकचूलिका की आवश्यक नियुक्ति कही है । यदि आपको विस्तार से अर्थ जानना है तो अनियोग-आचारांग से जानना चाहिए ॥१८८॥
चूलिका सहित आवश्यक-नियुक्ति का उपसंहार करते हुए कहते
गाथार्थ—इस तरह मैंने विधिवत् संक्षेप में आवश्यक नियुक्ति कही है । जो नित्य ही इनका आचरण (प्रयोग) करता है वह सर्वकर्म रहित-विशुद्ध-आत्मा सिद्धि को प्राप्त कर लेता है ॥१८९॥
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क ०क्तिन्याये वा एषा ।
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