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७४
५६
७०.
५७
६०
६३
६८. निक्षेप-भेद से वंदना आवश्यक के
छह भेद ६९. नाम-वंदना का स्वरूप एवं वंदना के
पर्यायवाची नाम वंदना की विधि
विनयकर्म का प्रयोजन और निरुक्ति ७७-७८ ७२. विनय के पाँच भेद ७३. लोकानुवृत्ति एवं अर्थविनय का
स्वरूप ७४. कामतंत्र एवं भयविनय ७५.. मोक्षविनय के पाँच भेद ७६. दर्शनविनय का स्वरूप ७७. ज्ञानविनय का स्वरूप ७८. चारित्रविनय का स्वरूप
तपविनय का स्वरूप एवं प्रयोजन विनय शासन का मूल एवं शिक्षा का फल है.
कृतिकर्म की योग्यता ८२. कृतिकर्म किसका और क्यों ? ८३. अयोग्य की वन्दना करने का
मुनि को निषेध ८४. पार्श्वस्थ आदि पाँच प्रकार के
मुनियों का स्वरूप पार्श्वस्थादि की वन्दना के निषेध का कारण वन्दना के योग्य मुनि का स्वरूप ९४-९५ वन्दनीय मुनि की भी कब वन्दना न करें ? कब करें ?
९६-९८ ८८. कृतिकर्म कितनी बार करें ? ८९. कितनी अवनति सहित कृतिकर्म
करने की विधि-विधान और क्रम . १००-१०१ ९०. बत्तीस दोष रहित कृतिकर्म का विधान
१०२-१०७
६४.
६५
६५-६६
९३
६९
७१-७२
९९
७५-७८
७९-८५
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