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__मैं विगत वर्षों से उनके जीवन का साक्षी हूँ कि किन कठिनाइयों के साथ उन्होंने अपना लक्ष्य पूरा किया है। अत्यन्त व्यस्त हो जाने पर भी वे लक्ष्य की ओर अविचल भावों से बढ़ती रहीं। ____अपने दृढ़ संकल्प के बलबूते ही उन्होंने सामाजिक और सामुदायिक उत्तरदायित्व होने पर भी अपने उद्देश्य को पूर्ण कर ही लिया।
उनका यह शोध-प्रबंध जैनदर्शन की मूल्यवान् धरोहर के रूप में स्थापित हो एवं विद्वानों के लिए उपयोगी सामग्री बने, इसी में इसकी सार्थकता है। ___डॉ. विद्युतप्रभाश्रीजी महाराज भविष्य में अध्ययन के क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित करें, इन्हीं शुभकामनाओं के साथ.... ।
रंगरूपमल कोठारी
I.A.S.
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