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६. जो ब्रह्मचर्य के पालन में सहायक हो :
जिस स्थान में ब्रह्मचर्य का पालन सम्यक प्रकार से होता हो अर्थात् आसपास का वातावरण कामवासना को जागृत करने वाला न हो ऐसे उपाश्रय में साधुओं को निवास करना चाहिये।
इस प्रकार उत्तराध्ययनसूत्र में श्रमणाचार का समुचित वर्णन उपलब्ध होता है।
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