SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 47
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ एक परिशीलन समिति, २. भाषा समिति, ३. एषणा समिति, ४. पायाण-भंड-निक्षेपणा समिति, और ५. उच्चार-पासवण-खेल-जल-मैल परिठावणिया समिति, प्रवृत्ति की प्रतीक हैं और त्रि-गुप्ति-मन गुप्ति, वचन गुप्ति और काय गुप्ति, निवृत्तिपरक हैं । समिति अपवाद मार्ग है और गुप्ति उत्सर्ग मार्ग है । साधु को जब भी किसी कार्य में प्रवृत्ति करना अनिवार्य हो, तब वह मन, वचन और काय योग को अशुभ से हटाकर, विवेक एवं सावधानीपूर्वक प्रवृत्ति करे । इस निवृत्ति-प्रधान एवं त्याग-निष्ठ जीवन को ध्यान में रखकर ही साधु की दैनिक चर्या का विभाग किया गया है। इसमें रात और दिन को चार-चार भागों में विभक्त करके बताया गया है कि साधु दिन और रात के प्रथम एवं अन्तिम प्रहर में स्वाध्याय करे और द्वितीय प्रहर में ध्यान एवं प्रात्म-चिन्तन में संलग्न रहे । दिन के तृतीय प्रहर में वह पाहार लेने को जाए और उस लाए हुए निर्दोष पाहार को समभाव पूर्वक अनासक्त भाव से खाए और रात्रि के तृतीय प्रहर में निद्रा से निवृत्त होकर, चतुर्थ प्रहर में पुनः स्वाध्याय में संलग्न हो जाए।' इस प्रकार दिन-रात के पाठ प्रहरों में छह प्रहर केवल स्वाध्याय, ध्यान, आत्म-चिन्तन-मनन में लगाने का आदेश है। सिर्फ दो प्रहर प्रवृत्ति के लिए हैं, वह भी संयम-पूर्वक प्रवृत्ति करने के लिए, न कि अपनी इच्छानुसार । ___ श्रमण-साधना का मूल ध्येय-योगों का पूर्णतः निरोध करना है। परन्तु, इसके लिए हठयोग की साधना को बिल्कुल महत्व नहीं दिया है। यहाँ यह नहीं भूलना चाहिए कि वैदिक परम्परा के योग विषयक ग्रन्थों में भी हठयोग को अग्राह्य कहा है, फिर भी वैदिक परम्परा में हठयोग को प्रधानता वाले अनेक ग्रन्थों एवं मार्गों का निर्माण हुआ है। परन्तु, जैन साहित्य में हठयोग को कोई स्थान नहीं दिया है। क्योंकि, हठयोग १. उत्तराध्ययन सूत्र, २६, ११-१२, १७-१८, २. योगवासिष्ठ, ९२, ३७-३६ । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004234
Book TitleYogshastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSamdarshimuni, Mahasati Umrav Kunvar, Shobhachad Bharilla
PublisherRushabhchandra Johari
Publication Year1963
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy