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प्रथम प्रकाश समुच्चय में ही कारण हैं । जब साधक के पास एक साधन होता है, तो मार्ग भ्रष्ट होने में देर नहीं लगती। तीनों साधनों से मुक्ति में विलम्ब नहीं होता।
उपरोक्त में ज्ञान को प्रधानता दी गई है, जिस का कारण यह है, कि ज्ञान से ही दर्शन में विशुद्धि आती है। ज्ञान के द्वारा ही सम्यग्दर्शन होता है।
अग्र पृष्ठों में इन तीनों का वर्णन विस्तार से किया जा रहा
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