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Bless them, that curse you, Pray for them, who persecute you.
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अर्थात् - अपने शत्रुओं से प्रेम करो। जो आप से घृणा करते हैं, उन के लिए उपकार करो । जो तुम्हें अभिशाप देते हैं, उन्हें आशीर्वाद दो । जो तुम्हारा बुरा चाहते हैं, उन के लिए ईश्वर से प्रार्थना करो ।
धर्म रुचि अणगार को नागिला ने कड़वे तूंबडे का शाक दान में दिया था । परन्तु धर्मरुचि को वह आहार अचित्त भूमि में फेंकना भी अभिप्रेत न था । ऐसा करने से कीड़ी आदि छोटे-छोटे प्राणियों के मरने की पूर्ण संभावना थी । अतः उन के प्रति उत्कट करुणा से प्रेरित हो कर वे स्वयं कड़वे तुंबे का शाक खा गए । उनके मन में फिर भी समता रही ।
प्रथम प्रकाश
गजसुकुमाल के सिर पर सोमिल ब्राह्मण ने मिट्टी की पाल बना कर उस में अंगार भर दिए, परन्तु गजसुकुमाल पाल उसको मोक्ष वधू को प्राप्त करने वाला 'सेहरा' हो समझते रहे । उन्होंने सोमिल पर क्रोध नहीं किया ।
उपाध्याय श्रीमद् यशोविजय जी महाराज ने भी स्वरचित ज्ञान सार अष्टक में 'शम' का यशोगान किया है ।
ज्ञान ध्यान तपः शील सम्यक्त्व सहितोऽप्यहो । तं नाप्नोति गुणं साधुर्यमाप्नोति शमान्वितः ॥ - ज्ञानसार ६ / ५ ॥ अर्थात् - ज्ञान, ध्यान, तपस्या, शील तथा सम्यक्त्व से साधु उन गुणों को नहीं पाता, जिन गुणों को 'शम' के द्वारा समतावान् साधु प्राप्त करता है ।
आरुरुक्षुर्मुनिर्योगं श्रयेद् बाह्यक्रियामपि । योगारूढः शमादेव, शुध्यत्यन्तर्गतक्रियः ॥
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- ज्ञानसार ६ / ३ ॥
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