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योग शास्त्र
वन में उसे एक साधु मिला। उस ने सेठ के घर में यह सुना था, कि साधु धर्म करते हैं । चिलातिपुत्र साधु को धमकाता हुआ तथा तलवार दिखाता हुआ बोला, "अरे साधु ! मुझे मात्र तीन हो शब्दों में धर्म कह दो। अधिक लम्बा उपदेश दिया तो देख ! इस कन्या की तरह तेरा सिर भी इस तलवार से काट दूंगा।" ____चिलाति पुत्र को यह पता न था, कि यदि महात्मा धमकियों से डरते, तो वन में जा कर वास न करते । महात्मा ने लाभ की दृष्टि से तीन ही शब्दों में धर्म का सार उसे समझा दिया। "उपशम, विवेक, संवर"-इन शब्दों के कहते ही महात्माओं ने जंघाओं पर हाथ रखा तथा आकाश में उड़ गए। चिलाति पुत्र मुग्ध सा हो कर देखता ही रह गया।
चिलाति पुत्र द्वारा तीनों शब्दों पर विस्तृत विचार___ चिलाति पुत्र धर्म से अनभिज्ञ था। वह मुनि के तीन शब्दों पर विचार करने लगा-साधु महाराज तो मुझे धर्म के स्वरूप का बोध दे गए, परन्तु इन तीन शब्दों का क्या अर्थ समझू । .
वस्तुतः आत्मा में अनन्त ज्ञान शक्ति है । ज्ञानावरण का क्षयोपशम होने से यह ज्ञान अन्तर से प्रस्फुटित हो सकता है । चिलाति पत्र के अज्ञान का क्षयोपशम उदित हआ तथा वह तीनों पदों का सम्यग् अर्थ स्वयं ही समझने लगा।
उपशम :-उपशम अर्थात् शांत होना, दबाना, शांत करना । किस को शांत किया जाए ? शरीर के ऊपर कुछ भी शांत करना नहीं है, तो आभ्यन्तर रूप से शांत क्या किया जाए ? मुनि ने मेरे अन्तस्तल में अवश्य कोई अवगुण देखा होगा। हां! स्मरण आया। क्रोध तो मुझ में बहुत भरा पड़ा है । सेठ के प्रति मेरा कितना दुर्भाव है ? विचार आता है, कि सेठ मिले तो अभी उस का प्राण हरण कर लं । मेरे साथियों को पकड़ने का प्रयास
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