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प्रथम प्रकाश . कारण, पत्नी ने भी चारित्र अंगीकार करके देव लोक को प्राप्त किया।
उस मुनि ने स्वर्ग से च्युत हो कर, धन श्रेष्ठी की एक चिलाति नामक दासी की कुक्षि में पुत्र रूप में जन्म लिया, जब कि वह साध्वी उसी श्रेष्ठी के गृह में सुसीमा नामक पुत्री के रूप में उत्पन्न हुई।
पूर्व स्नेह के कारण दासी पूत्र का सूसीमा के साथ प्रेम हो गया। धन श्रेष्ठी में इसी कारण उसे अपने घर से निष्कासित कर दिया। वह चोरपल्ली में जा कर शीघ्र ही सेनापति बन गया। एक बार चोरों के साथ उस ने परामर्श किया, कि धन श्रेष्ठी के घर चोरी की जाए, उस में सुसीमा को मैं ग्रहण करूंगा, धन अन्य चोरों में विभाजित कर दिया जाएगा। इस निर्णय के अनुसार उन्होंने धन श्रेष्ठी के घर से ससीमा तथा धन को ग्रहण किया। ___ धन सेठ को इस काण्ड के ज्ञात होने पर वह अपने पुत्रों तथा कोतवाल के साथ चोरों की दिशा में भागा। ____ मार्ग में चोर, धन श्रेष्ठी की 'मारो, पकड़ो' की उच्चध्वनि सन कर, सर्व दिशाओं में भाग गए, परन्तु चिलाति पूत्र ने ससीमा का त्याग न किया। वह सुसीमा को कन्धे पर डाल कर भागा जा रहा था। तभी उस ने देखा, कि श्रेष्ठी बहुत पास में आ चुका है। अब सुसीमा उस के हाथ में न रहेगी, यह विचार कर उस ने ससीमा का सिर काट कर अपने हाथ में लिया, शेष धड़ को वहीं पर फेंक दिया तथा सिर ही लेकर आगे की ओर भागा।
जब श्रेष्ठी ने अपनी ने अपनी पुत्री का मृत शरीर देखा, तो वे वहां से शोकाकुल होकर वापिल लौट पड़े।
चिलाति पुत्र का शरीर अभी-अभी एक युवती की हत्या करने के कारण रक्त से भरा हुआ था। उस के वस्त्र रक्तिम थे।
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