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प्रथम प्रकाश आहार कम हो जाता है, क्योंकि वे शरीर से बाहर निकलने वाले विष्ठा आदि पदार्थ, बहुत सीमा तक शरीर में ही पचा लेते हैं . अर्थात् पाचन तीव्र करके अल्प भोजन से अधिक सत्त्व का संचय करते हैं । परिणामतः उन की विष्ठा आदि अत्यल्प हो जाती है अथवा विष्ठा आदि की बाधा उन को होती ही नहीं।
यहां यह वर्णन है, कि योगियों के शरीर की कफ, थूक, मल आदि निरर्थक तथा दुर्गंध वाले पदार्थ सत्त्वहीन नहीं होते, वे विशेष शक्ति सम्पन्न होते हैं, उन के द्वारा असाध्य रोगों की भी चिकित्सिा हो सकती है। योगियों के हाथ का स्पर्श भी रोगों से मुक्ति प्रदान करता है। ___ योग के द्वारा अनेकविध चमत्कारिक शक्तियां तथा लब्धियाँ, सिद्धियाँ प्राप्त हो जाती हैं, परन्तु योगी महात्मा उनका प्रयोग स्वार्थ सिद्धि या प्रभाव के लिए नहीं करते । शासन प्रभावनार्थ कभी-कभी चमत्कार दिखाना · पड़ता है, परन्तु निष्प्रयोजन वे चमत्कारों का दर्शन नहीं कराते।
यौग से प्राप्त होने वाली लब्धियां निम्न रूप से हैं१. सवौं षघि लब्धि-कफ या स्पर्श आदि से रोग मुक्ति हो,
मुख प्रविष्ट विषाक्त अन्न निविष बन जाए। वचन श्रवण
या दर्शन से रोग मुक्ति हो । २. अणुत्व-अणु जितना शरीर बना कर, तन्तुछिद्र में प्रवेश
कर, वहां चक्रवर्ती के भोग भोगना। ३. महत्त्व-मेरु से भी महद् शरीर बनाने की शक्ति । ४. लघुत्व-वायु से भी हल्का शरीर बनाने की शक्ति । ५. गुरुत्व-वज्र से अधिक भारी शरीर बना कर इन्द्र के लिए
दुर्द्धर्ष बनना। ६. प्राप्ति-भूमि पर स्थित होकर, अंगुलि के अग्र भाग से
मेरु पर्वत के अग्र भाग या सूर्य को स्पर्श करने की शक्ति ।
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