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योग शास्त्र
[२५६ को देखा भी नहीं । २--५ मिनट तक महात्मा खड़े रहे । उपेक्षा सहन करते रहे । उस के बाद उन्हें बहुत क्रोध आया। “अरे ! वाह! महात्मा घर में आ जाएं तो उन का यह अपमान ! पहले पति की सेवा या महात्मा की ? मैं इस को भी जला डालंगा।" महात्मा जी मन ही मन बड़बड़ाए।
___ सती स्त्री ने महात्मा की बड़-बड़ाहट सुनी तथा बोल पड़ी, "अरे महात्मा ! मुझे चिड़िया मत समझना। तेरी इस सिद्धि से वह चिड़िया जल सकती है, पति को परमेश्वर मानने वाली स्त्री नहीं जल सकती । तेरा जादू मुझ पर न चलेगा और वस्तुतः महात्मा का जादू उस पर न चल सका।"
ब्रह्मचर्य द्वारा अनेक सिद्धियां प्राप्त हो जाती हैं। आचार्य वल्लभ सूरि जी को उद्धावस्था में ज्योति समाप्त प्रायः हो गई। डाक्टरों ने स्पष्ट कह दिया कि अब इन के नेत्रों में ज्योति न आ पायेगी। परन्तु आप्रेशन होने के बाद डाक्टरों ने देखा कि सचमुच उन के नेत्रों में ज्योति आ चुकी थी। वे बोल पड़े, यह इस महापुरुष के ब्रह्मचर्य तथा संयम का ही प्रताप है । अन्यथा नेत्र-ज्योति के पुनः प्राप्त होने की शक्यता न थी ! ___महापुरुषों के पास रह कर यदि आप कुछ सीखें तो अवश्य ही कुछ न कुछ पा सकेंगे। ____ भरत चक्रवर्ती जब दिग्विजय के लिए चले तो सुन्दरी को कह गए थे कि मैं तुझे पट्टरानी बनाऊंगा। परन्तु सुन्दरी ने भरत के दिग्विजय करने तक (६०००० वर्ष) आयम्बिल तप करके शरीर को कृश कर लिया था। तब भरत ने सुन्दरी को सौंदर्यहीन
तथा भावनाशील देख कर दीक्षा की आज्ञा दी थी। वही भरत • 'जब चक्री बन कर ६० हजार स्त्रियों का स्वामी बनता है तो उन स्त्रियों के मोहजाल में फंसता नहीं है। इसी का परिणाम था कि भरत को शीशमहल में छोटा-सा निमित्त मिल जाने पर ही केवल
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