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ब्रह्मचर्य का नियम लिया था। विवाह के पश्चात् उस ब्रह्मचर्य की प्रतिज्ञा को उन्होंने जिस प्रकार से निर्वाहित किया। वह एक प्रशंसनीय . . घटना है । वे एक ही शय्या के मध्य में तलवार रख कर सोते थे।
जिनदास सेठ तथा जिनदासी श्राविका ने भी विजय तथा विजया की भाँति ही ब्रह्मचर्य का समादर किया था तथा स्वविषय में जनश्रुति को सुन कर सद्यः दीक्षा का अंङगीकरण किया था। पति-पत्नी परस्पर संयम में सहायक हो सकते हैं। यह दाम्पत्य ही जीवन की नौका बन सकती है।
एक श्रावक को संकल्प जागृत हुआ कि मैं ८४ हज़ार साधर्मी भाइयों को भोजन कराऊं। तीर्थंकर महावीर ने उस की भावना को साकार करने का सामान्य सा फार्मला बताया कि यदि तुम केवल जिनदास सेठ तथा जिनदासी श्राविका को भोजन करा दो तो तुम्हें ८४ हज़ार श्रावकों को भोजन कराने का लाभ मिल करता है।
सुदर्शन सेठ ने अभया जैसी सुन्दर राजांगना के निमन्त्रण को मौन भाव से अस्वीकृत कर दिया। उसे रानी के स्त्री चरित्र से शूली पर आरूढ़ करने की राजाज्ञा हुई, परन्तु सुदर्शन सेठ का दृढ़ ब्रह्मचर्य तथा सेठानी मनोरमा का सत्यशील इतना प्रबल था कि शूली भी सिंहासन बन गई । देवों ने सुदर्शन के शोल का गुणगान किया।
भीष्म पितामह ने अपने पिता के लिए सर्वस्व समर्पित कर दिया। वे ब्रह्मचर्य के पालन का निर्णय लेकर आजीवन ब्रह्मचारी रहे । कैसी अद्वितीय होगी उन की दृढ़ता।
आज के युवकों के पतन के लिए कुसंगति कारण है। वे जानते हुए या अनजाने में भी कुमार्ग पर चल पड़ते हैं । जिस माता पिता का जीवन सदाचार से ओतप्रोत हो उन के बालक भी वैसे संस्कारी होंगे।
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