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योग शास्त्र
[२३१ को 'चोर' के अलंकार से विभूषित होना पड़ सकता है।
परिवार तथा भाईयों से ठगी करने वाले भी विश्व में कम नहीं हैं । धर्म के धन को पचा जाने वाले भी इस दुनिया में हैं। चोरी का क्षेत्र अत्यन्त व्यापक है। ___ चोरी छुपे किसी सुन्दर स्त्री को देर तक अपलक देखना भी क्या चोरी नहीं है ? एक शायर ने दो शब्दों में चोरी की व्यापकता का दिग्दर्शन करा दिया है।
न सूरत बुरी है, न सीरत बुरी है।
बुरा है वह जिस की नीयत बुरी है ॥ विश्व का कोई भी पदार्थ बुरा नहीं है। बी तो मात्र इंसान की नीयत है । यदि नीयत अच्छी नहीं है तो शेष शून्य बचता है बुराई का पहला या अन्तिम मानदण्ड ही यह है । क्योंकि नीयत का सम्बन्ध व्यक्ति के "पवित्र मन" से हैं।
धन को चार भागों में विभाजित किया जा सकता है। "वाइट मनी" (नीति का धन), ब्लैक मनी (सरकार की दृष्टि से बचाया हुआ धन) सिक्रेट मनी (परिवार या पत्नी की आंखों में धूल डाल कर) दुकान से बचाया हुआ धन, रिलीजियस ट्रस्ट ब्लैक मनी (धार्मिक दृस्ट बना बनाकर उसके धन का दुरुपयोग ।) प्रथम को छोड़कर शेष तीन प्रकार, प्रकारांतर से चोरी के ही रूप हैं। कोई व्यापारो हो या सर्विस मैन, प्रत्येक को उपर्युक्त सर्वविध भ्रष्टाचार से बचने की आवश्यकता है। उससे न केवल देश या समाज का कल्याण होगा बल्कि व्यक्ति का नैतिक जोवन भी सुधरेगा तथा वह इहलौकिक समृद्धि तथा प्रतिष्ठा के साथसाथ पारलौकिक सुखों का उपभोक्ता भी बन सकेगा।
चोर के नाम से प्रतिष्ठित होने के लिए एक ही चोरी काफी है। फिल्में भी जहां अपहरण, बलात्, युद्ध, कलह आदि
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